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चले जाते हो कि साधारण होने से कैसे तुम उत्सव मना सकते हो? कुछ विशेष नहीं है तुम में ।' लेकिन किसने कहां तुमसे कि उत्सव मनाने के लिए किसी विशेष चीज की जरूरत होती है? वस्तुत: जितने ज्यादा तुम विशेष के पीछे पड़ते हो, उतना ज्यादा और कठिन हो जाएगा तुम्हारे लिए नृत्य
करना।
साधारण होओ। साधारणता के साथ कुछ गलत नहीं है, क्योंकि तुम्हारी साधारणता में तुम असाधारण होते हो। इसकी फिक्र मत लो कि स्थितिया निर्णय करेंगी कि कब तुम उत्सव मनाओगे। यदि तुम फिक्र करते हो किन्हीं खास स्थितियों को पूरा करने की, तो क्या तुम सोचते हो कि तब तुम उत्सव मनाओगे? तब तुम कभी उत्सव नहीं मनाओगे, तुम भिखारी की भाति ही मरोगे एकदम अभी ही क्यों नहीं? किस चीज की कमी है तुम्हारे पास? मेरे देखे यदि तुम बिलकुल अभी शुरू कर सकी, तो अचानक ऊर्जा बहने लगती है और जितना ज्यादा तुम नृत्य करते, उतनी ज्यादा वह बह रही होती, उतने ज्यादा तुम सक्षम बनते अहंकार की फूलइर के लिए स्थितियों की जरूरत होती है, जीवन की नहीं।
पक्षी गा सकते हैं और नाच सकते हैं, साधारण पक्षी! क्या तुमने देखा कभी किन्हीं असाधारण पक्षियों को गाते और नाचते? क्या वे पूछते हैं कि उन्हें पहले रविशंकर होना है या कि यहूदी मेनुहिन? क्या वे पूछते हैं कि पहले उन्हें बड़ा गायक होना है और सीखने के लिएग संगीत महाविद्यालय जाना है और तभी वे गाएंगे? वे तो बस सहज ही नाचते और गाते हैं किसी प्रशिक्षण की जरूरत नहीं।
आदमी पैदा हुआ है उत्सव मनाने की क्षमता लिए हुए पक्षी तक उत्सव मना सकते हैं, तो तुम क्यों न मना सकोगे? लेकिन तुम तो अनावश्यक बाधाएं बना लेते हो, तुम बना लेते हो एक बाधा दौड़ की दशा! बाधाएं कहीं नहीं होतीं । तुम उन्हें वहां बना लेते और फिर तुम कहते, 'जब तक हम उन्हें घ नहीं लेते और उन पर से कूद नहीं जाते, कैसे हम नृत्य कर सकते हैं?' तुम अपने विरुद्ध खड़े हो जाते हो बंट कर, तुम तब अपने शत्रु हो । संसार के सारे धर्मोपदेशक कहे जाते हैं कि तुम साधारण हो, तो कैसे तुम हिम्मत कर सकते हो उत्सव मनाने की? तुम्हें प्रतीक्षा करनी है। पहले बुद्ध होओ, पहले हो जाओ जीसस, मोहम्मद और फिर तुम उत्सव मना सकते हो !
लेकिन ठीक उल्टी है अवस्था यदि तुम नृत्य कर सको तो तुम बुद्ध हो ही, यदि तुम उत्सव मना सको, तो तुम मोहम्मद ही हो, यदि तुम आनंदित हो सको, तो तुम जीसस हो। इसके विपरीत बात सच्ची नहीं; इसके विपरीत की बात एक झूठा तर्क है। वह कहता है पहले बुद्ध होओ, तब तुम उत्सव मना सकते हो। लेकिन उत्सव मनाए बिना कैसे तुम बुद्ध हो जाझेगे ?
मैं कहता हूं तुमसे, 'उत्सव मनाओ, भूल जाओ सारे बुद्धों के बारे में!' तुम्हारे उत्सव में तुम पाओगे कि तुम स्वयं बुद्ध हो गए हो। झेन फकीर सदा कहते हैं, 'बुद्ध एक बाधा हैं, भूल जाओ उनके बारे में।' बोधिधर्म कहां करते थे अपने शिष्यों से, 'जब कभी बुद्ध का नाम लो, तुरंत धो लेना अपना मुंह । वह गंदा है, वह शब्द ही गंदा है और बोधिधर्म शिष्य थे बुद्ध के वे ठीक कहते थे। क्योंकि वे