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रहित होते हो। जब तुम इच्छा रहित होते हो, तो जीवन और मृत्यु खो जाते हैं। तुम्हारी इच्छा के साथ ही जल जाता है वह बीज। ऐसा नहीं कि वहां कोई अग्नि होती है, जिसमें कि तुम जला देते हो बीज मूढ़ मत बनो। बहुत से लोग शिकार बन गए हैं प्रतीकों के यह तो कवितामय ढंग है कुछ चीजों को प्रतीक- भरे रूपक द्वारा कहने का
केवल समझ लेना परमावश्यक तत्व को सार - तत्व यह है कि इच्छा तुम्हें ले जाती है समय में, इस संसार में। तुम कुछ न कुछ हो जाना चाहोगे, भविष्य निर्मित हो जाता है, समय निर्मित हो जाता है, इच्छा के द्वारा समय इच्छा की परछाई के सिवाय और कुछ नहीं है अस्तित्व में कहीं कोई समय नहीं है। अस्तित्व शाश्वत है। उसने कभी किसी समय को नहीं जाना है। समय तो निर्मित हो जाता है तुम्हारी इच्छा के द्वारा, क्योंकि इच्छा को सरकने के लिए स्थान चाहिए। अन्यथा, यदि कहीं कोई भविष्य नहीं होता, तो कहां सरकेगी इच्छा ? तुम सदा रहोगे दीवार के सामने, तो तुम निर्मित करते हो भविष्य को तुम्हारा मन निर्मित करता है समय के आयाम को, और तब इच्छा के घोड़े तेजी से सरपट दौड़ते हैं।
इच्छा के कारण तुम भविष्य को निर्मित करते हो, न ही केवल इस जन्म में बल्कि दूसरे जन्मों में भी तुम जानते हो इच्छाएं बहुत सारी होती हैं, और इच्छाएं ऐसी होती हैं कि वे पूरी नहीं की जा सकती हैं। यह जीवन पर्याप्त न होगा ज्यादा जन्म चाहिए । यदि यही एकमात्र जीवन है, तब तो समय बहुत थोड़ा है बहुत सारी चीजें हैं करने को, और इतने कम समय में तो कुछ नहीं किया जा सकता है। तब तुम निर्मित कर लेते हो भविष्य के जन्मों को ।
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यह तुम्हारी इच्छा होती है जो कि बन जाती है बीज, और इच्छा के द्वारा तुम बढ़ते जाते एक स्वप्न से दूसरे स्वप्न तक। जब तुम एक जन्म से दूसरे जन्म तक बढ़ते हो तो वह एक स्वप्न से दूसरे स्वप्न तक बढ़ने के अतिरिक्त और कुछ नहीं होता। जब तुम गिरा देते हो सारे विचार और बस बने रहते हो वर्तमान क्षण में ही, तो अचानक समय तिरोहित हो जाता है।
वर्तमान क्षण समय का हिस्सा बिलकुल नहीं होता । तुम समय को बांट देते हो तीन कालों में: अतीत, वर्तमान और भविष्य में वह गलत है। अतीत और भविष्य समय हैं पर वर्तमान समय का हिस्सा नहीं होता, वर्तमान होता है अस्तित्व का हिस्सा। अतीत होता है मन में - यदि तुम्हारी स्मृति गिर जाती है, तो कहां रहेगा अतीत? भविष्य होता है मन में - यदि तुम्हारी कल्पना गिर जाती है, तो कहां रहेगा भविष्य? केवल रहेगा वर्तमान वह तुम पर और तुम्हारे मन पर निर्भर नहीं करता है। वर्तमान अस्तित्वगत होता है। हां, केवल यही क्षण सत्य है। दूसरे सारे क्षण या तो संबंध रखते हैं अतीत से या भविष्य से अतीत चला गया, अब न रहा, और भविष्य अभी तक आया नहीं। दोनों गैर- अस्तित्व हैं। केवल वर्तमान है सत्य, वर्तमान का एक क्षण ही है सत्य। जब इच्छाएं समाप्त हो जाती हैं और विचार समाप्त हो जाते हैं, तो अचानक तुम फेंक दिए जाते हो वर्तमान क्षण पर और वर्तमान क्षण से