________________
वह बोला, 'चिंता मत करो, उन्हें जाने दो। नदी तो है डेढ़ फीट, बच्चे हैं दो फीट।' जहां तक गणित का प्रश्न है, बिलकुल ठीक है बात; लेकिन न तो बच्चे और न ही नदी परवाह करती है गणित की।
पत्नी तो थोड़ी डरी, क्योंकि स्त्रियां कभी नहीं चलती गणित के अनुरूप। और यह अच्छा है कि वे ऐसी नहीं होती हैं, क्योंकि वे देती हैं संतुलन। अन्यथा, पुरुष तो पागल हो जाता। वह थोड़ी-भयभीत हो गयी थी। वह बोली, 'मैं नहीं समझती तुम्हारे एवरेज के नियम को। मुझे तो ऐसा जान पड़ता है कि कुछ बच्चे बहुत छोटे हैं और नदी बहुत गहरी दिखायी पड़ती है।' वह बोला, 'तुम चिंता मत करो। मैंने एवरेज के नियम को प्रमाणित कर दिया है महान गणितज्ञों के सामने। तुम कौन होती हो इस बारे में संशय, संदेह करने वाली? तुम जरा देखो कैसे काम करता है यह।'
गणितज्ञ आगे चल दिया। स्त्री भयभीत थी, वह पीछे-पीछे चली, ताकि वह देख सके कि क्या हआ बच्चों को, क्योंकि कुछ बच्चों को लेकर चिंतित थी वह। एक छोटा तो पानी में डूबने ही लगा। वह चिल्लायी, 'देखो, डूब रहा है बच्चा।' तो भी गणितज्ञ दौड़ा दूसरे किनारे की रेत की तरफ, उस बच्चे की ओर नहीं, जो कि डूब रहा था। वह कहने लगा, 'तो जरूर कुछ गलती रही होगी मेरी गणना में।' वह स्त्री दौड़ी दूसरे किनारे की तरफ-'मेरे साथ गणितबाजी मत चलाओ! मैं गणितज्ञ नहीं हूं और मैं विश्वास नहीं करती एवरेज के किसी नियम में।'
हर व्यक्ति एक अद्वितीय व्यक्ति होता है। कोई औसत आदमी अस्तित्व नहीं रखता है। मैं बहुतो से बातें कर रहा हूं और तुम्हारे द्वारा लाखों लोगों से बातें कर रहा हूं। मैं दो चीजें कर सकता हूं या तो मैं ढूंढ सकता हूं कोई औसत सिद्धात, तो मैं सदा रहूंगा समरूप, मैं सदा बात करूंगा दो फीट की। लेकिन मैं देखता हूं कि कुछ सात फीट के हैं, और कुछ केवल चार फीट के ही हैं, और मुझे संभालने पड़ते हैं बहुत प्रकार के जूते और बहुत प्रकार की विधियां। तुम तो बस ध्यान रखो तुम्हारे पैरों का; जूते को खोज लो और भूल जाओ सारी दुकान को। केवल तभी किसी दिन तुम समझ पाओगे कि सुसंगतता अस्तित्व रखती है मेरे भीतर। अन्यथा, मैं तो इस पृथ्वी पर सर्वाधिक असंगत व्यक्ति हैं।
अंतिम प्रश्न:
एक बार आपने कहा था कि यदि इसकी आवश्यकता हई तो आप एक और जन्म लेंगे। लेकिन यदि आप निर्बीज समाधि को उपलब्ध हो चुके हैं तो कैसे आप एक और जन्म ले सकते हैं? आप शायद इसे एक प्रासंगिक व्यक्तिगत प्रश्न नहीं समझते होंगे लेकिन जिस रफ्तार से मेरा आध्यात्मिक विकास बढ़ता हआ जान पड़ रहा है यह प्रश्न मेरे लिए संगत है।