________________
वहां बना रहेगा सदा, पृष्ठभूमि में ही महावीर नग्न थे, खाली, उन्होंने त्याग दिया था सब कुछ तो भी त्यागा तो था! वह बात सहज-स्वाभाविक तो न थी।
एपीकुरस एक छोटे से बगीचे में रहता था। वह बगीचा 'एपीकुरस का बगीचा' नाम से जाना जाता था। उसके पास अरस्तु की भांति कोई अकादमी न थी या कि प्लेटो की भांति कोई स्कूल न था, उसके पास एक बगीचा था। यह बात सहज और सुंदर जान पड़ती है। बगीचा ज्यादा स्वाभाविक जान पड़ता है एक अकादमी से। वह बगीचे में रहता था कुछ मित्रों के साथ। वह शायद पहला कम्यून था। वे बस वहां रह रहे थे- विशेष रूप से कुछ न करते हुए, बगीचे में काम करते हुए, मात्र जीने के लिए पर्याप्त था जिनके पास।
और वह राजा रो पड़ा था, क्योंकि
ऐसा कहां जाता है कि राजा वहां आया निरीक्षण करने को और वह सोच रहा था कि यह आदमी जरूर ऐश्वर्य में रहता होगा, क्योंकि इसका आदर्श वाक्य था 'खाओ, पीओ और आनंद मनाओ।' यदि यही है संदेश, राजा ने सोचा, तो मुझे मिलेंगे लोग ऐश्वर्य में जीते, भोगरत । लेकिन जब वह वहां पहुंचा तो उसने बगीचे में काम करते हुए, पौधों को पानी देते हुए बहुत सीधे-सादे लोगों को देखा। सारा दिन वे काम करते रहते थे। बहुत थोड़ा निजी सामान था उनका, जो जीने मात्र के लिए पर्याप्त था । शाम को, जब वे खाना खा रहे थे, तो मक्खन तक न था; केवल सूखी रोटी और था थोड़ा-सा दूध । लेकिन तो भी वे आनंदित थे इससे, जैसे कि यह कोई दावत हो। खाने के बाद वे नृत्य करने लगे। दिन समाप्त हो गया था और उन्होंने धन्यवाद दिया अस्तित्व को वह अपने मन में सदा सोचता रहा था, एपीकुरस की निंदा करने की बात ही। उसने पूछा, 'खाओ, ओ और आनंद मनाओ- ऐसा कहने से क्या मतलब है आपका?' एपीकुरस बोला, 'तुमने देखा ! हम यहां चौबीसों घंटे प्रसन्न रहते हैं। यदि तुम प्रसन्न होना चाहते हो तो तुम्हें सहज होना होगा, क्यों जितने जटिल होते हो तुम, उतने ही दुखी हो जाते हो तुम। जितना ज्यादा जटिल होता है तुम्हारा जीवन, उतना ज्यादा दुख निर्मित करता है वह। हम सहज स्वाभाविक हैं इसलिए नहीं कि हम परमात्मा को खोज रहे हैं, हम सहज हैं क्योंकि सहज होना ही सुखी, प्रसन्न होना है।' और राजा ने कहां, 'मैं कुछ उपहार तुम्हारे लिए भेजना चाहूंगा। बगीचे के लिए और तुम्हारे आश्रम - निवासियों के लिए क्या चाहोगे तुम?' एपीकुरस तो सोच न पाया। वह बहुत सोचता रहा और फिर बोला, 'हमें ऐसा नहीं लगता कि किसी चीज की जरूरत है।
नाराज मत होना, आप एक महान राजा हैं, हर चीज दे सकते हैं लेकिन हमें जरूरत नहीं है। यदि आप जोर देते हैं, तो आप भेज सकते हैं थोड़ा-सा नमक और मक्खन ।' वह एक सीधा-सादा आदमी था।
इस सरलता में धर्म घटता है स्वाभाविक रूप से तुम ईश्वर के बारे में सोचते नहीं, ऐसी कोई जरूरत नहीं होती, जीवन ही ईश्वर होता है आकाश की ओर हाथ जोड़ तुम प्रार्थना नहीं करते; वह मूढ़ता है।