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होते, तुम प्रार्थना ही होते हो, तुम प्रार्थना में बैठते, तुम प्रार्थना में खड़े होते, तुम प्रार्थना में चलतेफिरते, तुम सांस लेते तो प्रार्थना में।
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झलक मिलती है प्रेम द्वारा। क्या कभी तुम पड़े हो प्रेम में? - तब तुम सांस लेते हो प्रेम में, तब तुम चलते हो तो प्रेम में। तब तुम्हारे चरणों में नृत्य की गुणवत्ता होती है, जो कि दिखायी पड़ जाती है दूसरों को भी। तब तुम्हारी आंखों में एक चमक होती है, एक अलग ही चमक होती है उनमें। तब तुम्हारे चेहरे पर एक आभा होती है। तब तुम्हारी आवाज में गुनगुनाहट होती है - किसी गीत की।
वह व्यक्ति जिसने कभी प्रेम नहीं किया ऐसे चलता है जैसे कि वह स्वयं को घसीट रहा हो। वह व्यक्ति जिसने प्रेम किया है, ऐसे तिरता है जैसे कि हवा के पंखों पर तिर रहा हो। वह आदमी जिसने कभी प्रेम नहीं किया नृत्य नहीं कर सकता है क्योंकि वह अपने अंतरतम में नहीं जानता कि नृत्य क्या है वह आनंदपूर्ण नहीं हो सकता उदास होता है, बंद होता है, लगभग मरा हुआ, करीब-करीब कब्र में ही रह रहा होता है। प्रेम दूसरे की ओर सरकने देता है और जब ऊर्जा सरकती है दूसरे की ओर, तो तुम सक्रिय हो जाते हो जब ऊर्जा सरकती है दूसरे तक दूसरे से तुम तक, अकस्मात तुम सेतु निर्मित कर लेते हो अपने और दूसरे के बीच और यह सेतु देगा तुम्हें इसकी पहली झलक, इसकी पहली रूपरेखा कि प्रार्थना क्या होती है। वह एक सेतु होता है तुम्हारे और संपूर्ण के बीच
मैं कल्पना नहीं कर सकता कि प्रेम में जाए बिना किसी के लिए कैसे संभव होता है प्रार्थना में जाना, इसलिए प्रेम से भयभीत मत हो जाना। प्रेम में मर जाओ, ताकि पुनर्जन्म ले सको । स्वयं को मिटा दो प्रेम में, जिससे कि तुम फिर से युवा और ताजा हो सको अन्यथा कहीं कोई संभावना नहीं होती है । प्रार्थना की। और निराश मत अनुभव करना प्रेम के विषय में, क्योंकि वही है एकमात्र आशा । कहा है जीसस ने 'यदि नमक अपनी नमकीनी छोड़ देता है तो कैसे वह फिर से हो सकता है नमकीन? और मैं कहता हूं तुमसे, यदि प्रेम निराश हो जाता है, तो कहीं कोई आशा नहीं, क्योंकि प्रेम ही है एकमात्र आशा तो फिर से आशा कहां पाओगे तुम
प्रयास को मत गिरा देना, मत स्वीकार करना विफलता को कोई अस्तित्व रखता है तुम्हारे लिए; तुम अस्तित्व रखते हो किसी के लिए यदि प्यास है, तो पानी भी जरूर होगा। यदि भूख है, तो भोजन भी जरूर होगा। यदि आकांक्षा मौजूद है, तो उसकी परिपूर्ति के लिए कोई मार्ग जरूर होगा। मत अनुभव करना निराशा फिर से पुनजावित कर लेना अपनी आशा, क्योंकि केवल एक निराश व्यक्ति ही अधार्मिक होता है। केवल एक निराश व्यक्ति होता है, नास्तिक ।
प्रेम है एकमात्र आशा प्रेम द्वारा बहुत सारी नयी आशाएं उठ खड़ी होंगी, क्योंकि प्रेम है बीज परम आशा का जो है परमात्मा हर एक कोशिश कर लेना। उस आशा-शून्यता में मत जा बैठना। ऐसा कठिन होगा, लेकिन यही बात उपयुक्त बैठती है, क्योंकि इसके बिना तुम अटके हुए होते हो और तुम फिर-फिर वापस फेंक दिए जाओगे जीवन में, जब तक प्रेम का पाठ न सीख लो और एक बार प्रेम