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ऐसा ही नहीं है कि जब सूर्योदय होता है, तो फूल खिलते हैं। इसके विपरीत बात भी सत्य है : जब फूल खिलते हैं, तो सूर्योदय होता है। यदि फूल न होते, तो किसके लिए निकलता सूर्य? केवल ऐसा ही नहीं है कि जब-जब सूर्योदय होता है, तो पक्षियों का गान होता है। विपरीत बात उतनी ही सच है जितनी कि यह बात-क्योंकि पक्षियों का गान होता है, इसलिए सूर्योदय होता है। अन्यथा किसके लिए उदित होगा वह? हर चीज दूसरी चीज पर अवलंबित होती है; हर चीज संबंधित होती है किसी दूसरी चीज के साथ; हर चीज गंथी होती है दूसरी किसी चीज के साथ। यदि एक पत्ता भी खो जाता है, तो समष्टि उसका अभाव अनुभव करेगी। तब समष्टि फिर समष्टि नहीं रहेगी।
इकहार्ट सबसे अधिक विरले व्यक्तियों में से एक था, जिसे ईसाइयत ने उत्पन्न किया। वस्तुत: यह ईसाइयों के संसार में अजनबी जान पड़ता है। उसे तो झेन गुरु के रूप में जापान में उत्पन्न होना चाहिए; उसकी अंतर्दृष्टि बहुत साफ, बहुत गहरी, किसी सिद्धात के बहुत पार की है।
अपनी प्रार्थनाओं में से एक में इकहांर्ट ने कहां है, 'हां, मैं तुम पर निर्भर हूं प्रभु, लेकिन तुम भी मुझ पर निर्भर हो। यदि मैं यहां नहीं रहूं तो कौन करेगा पूजा और कौन करेगा प्रार्थना? आप मुझे याद करोगे? 'और ठीक कहता है वह। ऐसा किसी अहंकार के कारण नहीं है; यह तो मात्र तथ्य है। मैं जानता हूं कि ईश्वर ने उस घड़ी जरूर सहमति प्रकट की होगी, 'तुम सच्चे हो इकहार्ट, क्योंकि यदि तुम न होते, तो मैं यहां नहीं होता।'
पूजा करने वाला और पूजा पाने वाला साथ-साथ अस्तित्व रखते हैं, प्रेम करने वाला और प्रेम पाने लाला साथ -साथ बने रहते हैं। एक अस्तित्व नहीं रख सकता है दूसरे के बिना। यही है अस्तित्व का राज -हर चीज एक साथ अस्तित्व रखती है। यही सह - अस्तित्व है परमात्मा। परमात्मा कोई एक व्यक्ति नहीं है। यही सब का सहयोगी भाव ही परमात्मा है।
जो प्रत्यक्ष-बोध निर्विचार समाधि में उपलब्ध होता है वह सभी सामान्य बोध संवेदनाओं के पार का होता है-प्रगाढता में भी और विस्तीर्णता में भी।
हर कहीं से खुलती है विशालता, और हर कहीं से ही वह गहराई। जरा देखना फूल में, और वहां होता है विशाल शून्य। तुम उतर सकते हो फूल में और खो सकते हो। ऐसा हुआ है। बेतुकी लगेगी बात, तो भी यह है सच्ची। इस पर विश्वास करना या न करना, तुम पर निर्भर करता है।
ऐसा हुआ कि चीन में एक सम्राट ने एक बड़े चित्रकार को महल में आमंत्रित किया और कहां कि वह कुछ चित्र बनाए। चित्रकार गया और उसने चित्र बनाया हिमालय के पर्वतो का। वह बहुत सुंदर था,