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प्रवचन 28 शिष्य का पकना गुरु का मिलन
प्रश्नसार:
1- कृष्णमूर्ति लगातार बोले जाते हैं, लेकिन क्या वे नहीं जानते कि लोग उन्हें समझ ही नहीं पा रहे हैं? और आप कहते है कि
मैं सबके लिए मार्ग बना सकता हूं, फिर भी आप स्वयं का
खंडन करके कई लोगों को अपने से दूर क्यों हटाया करते हो?
2- व्यक्ति से प्रेम, गुरु से प्रेम और फिर परमात्मा से प्रेम ।
भक्ति के संदर्भ में इसे समझने की
3- क्या सद्गुरू कभी जंभाई लेते है?
पहला प्रश्न :
कृपा
करें।
ऐसा कैसे है कि कृष्णमूर्ति जैसे बुद्ध पुरुष नहीं देख सकते कि वे मदद नहीं कर पा रहे हैं लोगों की? यदि वे बुद्ध पुरुष हैं तो क्या वे यह सब देख नहीं पाते? और आप कहते हैं कि आप हर प्रकार के लोगों की मदद करने योग्य हैं लेकिन आप यह भी कहते हैं कि आप प्रयोजनवश विरोधात्मक हैं जिससे कि कुछ लोग दूर चले जाएंगे। यदि आप सभी की मदद कर पाते हैं तो क्यों कुछ लोगों का दूर जाना आवश्यक है?