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वे जो कि चमत्कार करते हैं, संत नहीं होते, क्योंकि कर्ता मौजूद होता है। उनके चमत्कार चमत्कार नहीं हो सकते। वे साधारण जादुई करतब होते हैं। वे मूर्ख बना रहे होते हैं लोगों को और धोखा दे रहे होते हैं उन्हें ।
चमत्कार घटता है; उसे किया नहीं जा सकता। वह घटता है संत के निकट ऐसा नहीं होता कि वह पैदा कर दे स्विस - घड़िया । वह संत जो स्विस घड़ियां पैदा करता है, मूढ़ होता है। क्या कर रहा होता है वह? और वास्तव में कोई चमत्कार होता ही नहीं क्योंकि कोई सत्य साई बाबा वैज्ञानिक जांच के अंतर्गत अपने चमत्कार दिखाने को राजी नहीं होता है। वह ऐसा कर नहीं सकता, क्योंकि स्विसघड़ियां मार्केट से खरीदनी पड़ती हैं, लंबे चोगे में छिपानी पड़ती हैं या नीग्रो ढंग के केश विन्यास में। वैज्ञानिक जांच के अंतर्गत कोई सत्य साईं बाबा अपने चमत्कार दिखाने को राजी नहीं होता है और यदि ये लोग सचमुच सच्चे होते हैं, तो उन्हें पहले ऐसा करना चाहिए वैज्ञानिक - जांच के अंतर्गत । ये केवल साधारण जादुई करतब हैं जब कोई जादूगर दिखाता है इन्हें तो तुम सोचते हो कि यह तो केवल हाथ की सफाई है और जब कोई बाबा दिखाता है इसे, तो अचानक यह बन जाता है एक चमत्कार, युक्ति वही होती है।
चमत्कार घटते हैं केवल तब जब निर्विचार समाधि उपलब्ध हो जाती है और तुम बाहर आ जाते हो तुम्हारे शरीर से। लेकिन वे किए नहीं जाते। यही होती है चमत्कार की आधार - भूत गुणवत्ता - वह किया कभी नहीं जाता है, वह घटता है। और जब घटता है, वह कभी पैदा नहीं करता स्विस - घड़िया । निर्विचार समाधि उपलब्ध करना और फिर स्विस घड़ियां पैदा करना, यह बात ही कुछ अर्थपूर्ण नहीं लगती! वह तो प्राणियों को रूपांतरित करती है, वह दूसरों को मदद देती है उच्चतम तक उपलब्ध होने
में।
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संत द्वारा तुम ज्यादा जागरूक हो सकते हो, लेकिन तुम नहीं पाओगे कोई स्विस घड़ी जागरूकता घटती है। वह बना देता है तुम्हें ज्यादा सजग, सचेत वह तुम्हें समय नहीं देता, वह तुम्हें देता है शाश्वतता। लेकिन ये चीजें घटती हैं। कोई उन्हें करता नहीं है, क्योंकि कर्ता तो जा चुका होता है। केवल तभी संभव होती है निर्विचार समाधि । कर्ता के साथ, कैसे तुम समाप्त कर सकते हो सोचविचार ? कर्ता ही है विचारक। वस्तुतः इससे पहले कि तुम कुछ करते हो, तुम्हें सोचना-विचारना पड़ता है। विचारक आता है पहले, कर्ता तो अनुसरण करता है जब विचारक और कर्ता दोनों जा चुके होते हैं और केवल एक साक्षी, केवल एक चैतन्य बच रहता है, तब बहुत सारी चीजें एकदम ही संभव हो जाती हैं, वे घटती हैं।
जब बुद्ध चलते हैं, तब बहुत सारी चीजें घटती हैं, लेकिन वे बहुत प्रकट नहीं होती। केवल थोड़े से लोग समझ पाएंगे कि क्या घट रहा होता है, क्योंकि ये चीजें संबंधित होती हैं किसी बड़े अज्ञात जगत से। तुम्हारे पास कोई भाषा नहीं होती है इसके लिए कोई अवधारणाएं नहीं होती हैं इसके लिए । और तुम नहीं देख सकते उसे, जब तक कि वह तुम्हें घट न जाए ।