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यदि तुम शरीर विज्ञान के बारे में -
कुछ जानते हो, तो तुम जरूर जानते होगे कि दायां हाथ जुड़ा होता मस्तिष्क के बाएं भाग से और बायां हाथ जुड़ा होता है मस्तिष्क के दाएं आधे भाग से। तुम्हारे दो हाथ दो ग्रहणकारी छोर हैं मस्तिष्क के। वे मस्तिष्क की ओर से कार्य करते हैं; वे विस्तारित मस्तिष्क हैं। तुम्हारा दायां हाथ संदेश ले जाता है बाएं मस्तिष्क की ओर, तुम्हारा बायां हाथ ले जाता है दाएं मस्तिष्क की ओर मस्तिष्क भी सजग नहीं होता। मस्तिष्क होता है कंप्यूटर की भांति कोई चीज दी जाती है उसे, वह उसका अर्थ निकालता है। वह एक रचनातंत्र है। कभी न कभी हम बना पायेंगे प्लास्टिक के मस्तिष्क, क्योंकि वे सस्ते होंगे और वे ज्यादा टिकाऊ होंगे। वे कम मुसीबत खड़ी करेंगे और उन्हें बड़ी आसानी से परिचालित किया जा सकता है। हिस्से बदले जा सकते हैं। तुम सदा अतिरिक्त हिस्से भी रख सकते हो तुम्हारे साथ ।
मस्तिष्क एक रचनातंत्र है, और कंप्यूटरों के आविष्कार द्वारा यह बात पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है कि मस्तिष्क एक यंत्र - रचना है। मस्तिष्क सूचना एकत्रित करता है, उसके अर्थ करता है, और मन को संदेश दे देता है। उसमें कोई समझ नहीं होती। तुम्हारे मन के पास थोड़ी समझ है, और बहुत थोड़ी है वह भी। ऐसा है क्योंकि तुम्हारा मन सजग नहीं । तुम्हारा हाथ यांत्रिक है; तुम्हारा मस्तिष्क यांत्रिक है, तुम्हारा स्नायु – तंत्र यात्रिक है, और तुम्हारा मन सोया हुआ है, जैसे कि मदहोश हो। इसलिए संदेश पहुंचता है एक नासमझ से दूसरे नासमझ तक, और अंततः संदेश पहुंच जाता है मदहोश तक
गुरजिएफ अपने शिष्यों के लिए बड़े भोज आयोजित किया करता था, और पहला टोस्ट सदा नासमझों के लिए होता था। ये ही हैं जड़ नासमझ
और फिर यह आधा सोया, आधा जागा मदहोश इसकी व्याख्या कर देता है अतीत के अनुसार क्योंकि दूसरा कोई रास्ता नहीं। मन वर्तमान की व्याख्या करता है अतीत के अनुसार हर चीज गलत हो जाती है, क्योंकि वर्तमान सदा नया होता है, और मन सदा पुराना होता है। लेकिन दूसरा कोई रास्ता नहीं; मन कुछ और कर नहीं सकता। उसने अतीत में बहुत सारा जान इकट्ठा कर लिया है इन्हीं जड़ नासमझों के द्वारा, जो नितांत अविश्वसनीय हैं। और वह अतीत लाया जाता है वर्तमान तक, और वर्तमान को समझा जाता है अतीत के द्वारा हर चीज गलत पड़ जाती है। लगभग असंभव है इस प्रक्रिया द्वारा किसी चीज को समझना।
इसलिए इस प्रक्रिया द्वारा जो सारा संसार जाना जाता है, हिंदू उसे कहते हैं, माया - स्वप्न सदृश भ्रम ऐसा है कि अभी तुमने सत्य को जाना नहीं। ये चार संदेशवाहक तुम्हें जानने न देंगे, और तुम जानते नहीं कि इन संदेशवाहकों से कैसे बचा जाए या कि खुले में कैसे आया जाए। स्थिति ऐसी है जैसे कि तुम एक अंधेरी कोठरी में बंद हो, और तुम बाहर देख रहे हो चाबी के एक छोटे से छिद्र द्वारा और वह छिद्र निष्क्रिय नहीं, छिद्र सक्रिय है वह व्याख्या करता है। वह कहता है, नहीं, तुम गलत हो; यह उस तरह से नहीं है, यह इस तरह से है। तुम्हारा हाथ व्याख्या करता है, तुम्हारे स्नायु तंत्र व्याख्या करते हैं, तुम्हारा मस्तिष्क व्याख्या करता है, और अंत में एक मदहोश मन व्याख्या करता है। वह
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