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जब तक कि रूपांतरण तुम्हारा हृदय ही नहीं बन जाता, जब तक कि रूपांतरण तुम्हारे हृदय की धड़कन ही नहीं बन जाता और तुम मन की मूढ़ता को नहीं समझ लेते। जब तुम उसकी पीड़ा को समझ लेते हो - तो तुम उसके बाहर लगा देते हो छलांग ।
मन बहुत पुराना है। मन बहुत - बहुत प्राचीन है। वस्तुतः मन कभी हो नहीं सकता नया, वह कभी हो नहीं सकता आधुनिक। केवल अ-मन ही हो सकता है नया और आधुनिक क्योंकि केवल अ-मन हो सकता है ताजा- हर घड़ी ताजा अमन कभी कुछ संचित नहीं करता दर्पण सदा ही साफ होता है; धूल-धवांस एकत्रित नहीं होती उस पर मन एक संचयकर्ता है। वह संचय किए चला जाता है। मन तो सदा पुराना होता है; मन कभी नहीं हो सकता है नया। मन कभी नहीं होता है मौलिक; केवल अमन होता है मौलिक ।
इसीलिए वैज्ञानिक भी अनुभव करते हैं कि जब कोई खोज की जाती है तो वह मन द्वारा नहीं की जाती बल्कि केवल अंतराल में होती है, जहां मन अस्तित्व नहीं रखता है, जैसा कि कई बार नींद में होता है। यह बिलकुल आर्केमिडीज की भांति है जो गणित की एक खास समस्या हल करने की कोशिशें करता रहा और उसे हल नहीं कर सका। उसने कोशिश की और कोशिश की, निस्संदेह मन को साथ लेकर ही, लेकिन मन केवल दे सकता है वे उत्तर जिन्हें मन जानता है। वह तुम्हें कोई अज्ञात चीज नहीं दे सकता है। वह एक कंप्यूटर होता है; जो कुछ पोषण तुमने उसका किया होता है, वह उत्तर दे सकता है। तुम कोई नई बात नहीं पूछ सकते। बेचारे मन से कैसे अपेक्षा रखी जा सकती है किसी यी बात के उत्तर की? ऐसा तो बिलकुल संभव ही नहीं होता। यदि मैं जानता हूं तुम्हारा नाम, तो मैं याद रख सकता हूं उसे क्योंकि मन स्मृति है और स्मरण शक्ति है, लेकिन यदि मैं नहीं जानता हूं तुम्हारा नाम और मैं कोशिश और कोशिश करता रहता हूं तो कैसे मैं याद रख सकता हूं उसे जो कि वहां है ही नहीं !
फिर अचानक वह घट गया। आकेंमिडीज ने कार्य किया, और कड़ा परिश्रम किया क्योंकि राजा प्रतीक्षा कर रहा था उसकी। एक सुबह वह स्नान कर रहा था नग्न, जल में आराम कर रहा था, और अकस्मात बात बुदबुदा कर फूट पड़ी, बिना जाने ही वह यकायक सतह पर आ निकली। वह बाहर कूद गया स्नान कुंड से। वह अ - मन की अवस्था में था। वह सोच भी न सकता था कि वह नग्न क्योंकि वह मन का भाग है। वह सोच न सका कि सड़क पर नग्न जाने से लोग उसे पागल समझेंगे। वह मन जो कि समाज द्वारा दिया जाता वहां था ही नहीं, वह काम ही नहीं कर रहा था। वह अ
मन की स्थिति में था, एक प्रकार की सतोरी में वह चिल्लाता हुआ, गली में, भाग चला, 'यूरेका, यूरेका।' चीखता चिल्लाता, मैंने उसे पा लिया, पा लिया!' निस्संदेह लोगों ने सोचा कि वह पागल हो गया। क्या पाया है तुमने नग्न हो गली में दौड़ते हुए?' उसे पकड़ लिया गया क्योंकि वह 'यूरेका' की पुकार मचाते हुए, महल में प्रवेश करने की कोशिश कर रहा था। उसे तो जेल भेज दिया जाता। मित्रों ने उसे थामा;
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