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है, 'ही, मैंने पा लिया है।' अकस्मात, तुम अनुभव करने लगते, ही, यही है वह । सतोरी घट गई, समाध उपलब्ध हो गई। तुम इतना आनंदपूर्ण अनुभव करते हो कि ऐसे विचार का उदित होना स्वाभाविक होता है। लेकिन यदि विचार उठता है, तो फिर तुम किसी उस बात की पकड़ में आ गए जो कि वस्तुगत होती है। आत्मपरकता फिर खो जाती, एकत्व दो हो चुका। दुद्वैत फिर आ पहुंचा वहां ।
व्यक्ति को सजग होना होता है अ-विचार के विचार को न आने देने के लिए। कोशिश मत करनाजब कभी ऐसा कुछ घंटे, उसी में बने रहना। उसके बारे में सोचने की कोशिश मत करना, उसके बारे में कोई धारणा मत बनाना; उसका आनंद मनाना । तुम कर सकते हो नृत्य, उससे कोई अड़चन न होगी, लेकिन शब्दों द्वारा बनी अभिव्यक्ति को मत आने देना, भाषा को मत आने देना । नृत्य अड़चन नहीं देगा, क्योंकि नृत्य में तुम एक हो जाते हो।
सूफी परंपरा में, नृत्य का प्रयोग किया जाता है मन से बचने के लिए। अंतिम अवस्था में, सूफी गुरु बताते हैं, 'जब तुम उस स्थल तक आ पहुंचो जहां कि विषय तिरोहित हो जाए तो तुरंत नृत्य करने लगना जिससे कि ऊर्जा शरीर में बहे और मन में नहीं बहे तुरंत कुछ करने लगना, कुछ भी चीज मदद देगी।'
जब झेन गुरु उपलब्ध होते हैं, तो वे पेट भरकर सच्ची हंसी हंसना शुरू कर देते हैं, बहुत गर्जन- भरी, एक सिंह गर्जना क्या कर रहे होते हैं वे? ऊर्जा वहां है और पहली बार ऊर्जा एक हो गयी है। यदि तुम मन में कुछ और आने देते हो, तो तुरंत भेद फिर वहां आ बनता है, और भेद बनाना तुम्हारी पुरानी आदत है। कुछ दिनों तक डटी रहेगी वह कूदो, दौड़ो, नाचो, अच्छी पेट भर हंसी हंसो, कुछ करो जिससे कि ऊर्जा शरीर में सरके और सिर में न सरके। क्योंकि ऊर्जा है वहां, पुराना ढांचा है वहां, वह फिर से पुराने ढंग में सरक सकती है।
बहु से लोग आते हैं मेरे पास और जब कभी ऐसा घटता है, तो सब से बड़ी समस्या उठ खड़ी होती है मैं कहता हूं सब से बड़ी, क्योंकि यह कोई साधारण समस्या नहीं होती मन फौरन उसे धर पकड़ता है और कहता है, 'हां तुम उपलब्ध हो गए! अहंकार प्रवेश कर चुका, मन प्रवेश कर गया और हर चीज खो जाती है। एक ही विचार और बड़ा भेद तुरंत वहां आ पहुंचता है। नृत्य अच्छा होता है। तुम कर सकते हो नृत्य - कुछ गड़बड़ाएगा नहीं उससे तुम आनंदित हो सकते हो। तुम उत्सव मना सकते हो। इसीलिए मेरा जोर है उत्सव पर।
प्रत्येक ध्यान के बाद उत्सव मनाओ, जिससे कि उत्सव तुम्हारा हिस्सा बन जाए। जब अंतिम घट है, तो तुरंत तुम उत्सव मना पाओगे ।