Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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समयसुन्दर का जीवन-वृत्त
मंजिल - वंजिल पूछे कौन, चलो जहाँ तक रस्ता जाए । घाट का पत्थर घाट लगे, बहता पानी बहता जाए ॥ ९ कवि पद-यात्राएँ करते हुए देश के लगभग हर नगर और हर कस्बे में गए थे । 'जिनचन्द्रसूरि-गीतम्' से ज्ञात होता है कि वे वि० सं० १६९४ में जालौर पहुँचे थे । 'क्षुल्लककुमार - चौपाई २ में इस बात का स्पष्ट उल्लेख मिलता है कि यह वर्षायोग कवि ने जालौर में सम्पूर्ण किया था । 'वृत्तरत्नाकरवृत्ति'३ भी इसी वर्ष रची गई थी । वि० सं० १६९५ में 'चंपक- श्रेष्ठि- चौपाई ४ बनाई और 'सप्तस्मरण' पर 'सुखबोधिका - वृत्ति लिखी।‘गौतमपृच्छा-चौपाई ६ की रचना के उल्लेखानुसार इसी वर्ष वे पालनपुर के निकट 'आकेठ' ग्राम भी गए। यहाँ से प्रह्लादनपुर आकर 'कल्याणमंदिरवृत्ति " की रचना की। 'दंडक वृत्ति" और ' धनदत्त चौपाई' कृतियों से विदित होता है कि वे वि० सं० १६९६ में अहमदाबाद गये ।
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कवि पद-यात्राएँ करते हुए अत्यन्त वृद्ध हो चुके थे। यदि उनका जन्म सं० १६१० में हुआ मानते हैं, तो इस समय कवि की उम्र लगभग ८६ वर्ष की हो गयी थी । वृद्धावस्था एवं तज्जन्य अशक्ति के कारण पद-यात्राएँ करते रहना उनके लिए असम्भव हो गया था । अतः कवि ने अब अपनी पद-यात्राओं को स्थगित कर दिया ।
इस प्रकार हम देखते हैं कि कविवर समयसुन्दर पक्षी की भांति उन्मुक्त विहारी थे। उन्होंने भारत के विभिन्न अंचलों का भ्रमण किया। पूर्व में कालक्रम के आधार पर हमने जिन-जिन पद-यात्राओं का उल्लेख किया है, वह सब कवि की कृतियों के आधार पर किया है । कतिपय कृतियाँ इस प्रकार की भी हैं, जिनमें नगर का नामोल्लेख तो है, परन्तु समय का निर्देश न होने से उसका विवरण नहीं दिया जा सका । अन्ततः सभी रचनाओं का पर्यवेक्षण करने से यह निष्कर्ष निकलता है कि कवि ने निम्नलिखित प्रमुख स्थानों की पद-यात्राएँ की
पंजाब
: लाहौर, सरसपुर, फिरोजपुर, कसूर आदि ।
उत्तर प्रदेश : उग्रसेनपुर, आगरा, बीबीपुर, अकबरपुर, सिकन्दरपुर आदि ।
१. उद्धृत - सुनहरा राजस्थान, वर्ष १, अंक १८, पृष्ठ ५
२. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ ५६४-५७५
३. वृत्तरत्नाकरवृत्ति, प्रशस्ति (२)
४. समयसुन्दर - रास - पंचक, पृष्ठ १०१
५. सप्तस्मरण - वृत्ति, पृष्ठ ५१ ६. गौतमपृच्छा - चौपाई (१.५-६) ७. कल्याणमंदिर - वृत्ति, प्रशस्ति
८. दंडक - वृत्ति, प्रशस्ति (३)
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