Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व म. न. र ऽ।ऽ ।।। ।।
भव्य-जीव-कृत-भावुक, पापवृक्षवन-पावकम्।
साभजित जनत जिन, भद्रिका भवति या भृशम्॥१ ४.५ चम्पकमाला
जिन चार चरणों के प्रत्येक चरण में क्रमशः, भगण, मगण, सगण और गुरु होता है, उसे चम्पकमाला वर्ण-वृत्त कहते हैं। उदाहरण इस प्रकार है -
__ भ. म. स. गु. 511 555 115 S
नाश्रयति त्वां सद्गुणवन्तं, वञ्चित एवासौ गुणवृन्दा।
या मधुकृत प्राणी भगवन्तं, चम्पकमालायामृतवन्तम्॥२ ४.६ दोधक
तीन भगणों के अनन्तर दो गुरु हों, तो उसको 'दोधक' वर्णवृत्त कहा जाता है। जैसे -
भ. भ. भ. गु.२ ऽ।। ।। ।।। ऽऽ
रूप्य-सुवर्ण-सुरत्नमयोच्चैः, वप्र सुमध्य-चतुर्मुख-मूर्तेः।
त्वं जन राजसि मानव-तिर्यग्, दिवस-दोधकर-प्रतिबोधेः॥२ ४.७ हंसमाला
यह वर्ण-वृत्त है। इसमें क्रमशः सगण, रगण और एक गुरु होता है। उदाहरणार्थस. र. गु ।। 55155
भ्रमति भ्राजमान, सुतरां सर्व-लोके।
तव कीर्ति-विशाला, धवला हंसमाला॥ यहाँ प्रथम पादान्त 'न' गुरु माना है। ४.८ चूड़ामणि
यह सप्ताक्षर वर्ण-वृत्त है। इसका वर्ग नाम उष्णिक है। इसमें तगण, भगण और अन्त में एक गुरु होता है- ऐसा निम्नलिखित उदाहरण से प्रकट होता है, यद्यपि १. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (८) २. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (९) ३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (१२) ४. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (५)
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