Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व निष्कर्ष यह है कि महोपाध्याय समयसुन्दर के एक व्यक्तित्व में बहुविध कृतित्व के दर्शन होते हैं। शायद ही ऐसा कोई विषय हो, जो उनसे अस्पृश्य रहा हो। शिक्षा देना, आनन्द प्रदान करना और गृह्यतम सत्यों को उद्घाटित करना, यही उनके साहित्य-निर्माण का उद्देश्य परिलक्षित होता है। उनका साहित्य भाषा, वर्णन-कौशल, साहित्यिक तत्त्व, विचार इत्यादि सभी दृष्टियों से समृद्ध है। उनका साहित्य केवल क्षणिक मनोरंजन का छिछला और सस्ता साधन नहीं है, वरन् समाज के स्थायी और शुभ जीवन का प्रदर्शक है । वह धार्मिक, व्यवस्थामूलक तथा नैतिक पृष्ठभूमि में प्रतिष्ठित है। उन्होंने ऐसी-ऐसी कृतियों का निर्माण किया, जो अतुल्य हैं। भाव, भाषा, वस्तु-विधान - सभी दृष्टियों से इनका साहित्य भारतीय साहित्य के गौरव को द्विगुणित करता है। महाकवि तुलसीदास की टक्कर का उनके समय में यदि कोई जनकवि था, तो वह समयसुन्दर थे। यथार्थतः उनके साहित्य के अध्ययन-मनन के बिना भारतीय साहित्य का इतिहास अपूर्ण ही रहेगा।
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