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________________ ३९० महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व म. न. र ऽ।ऽ ।।। ।। भव्य-जीव-कृत-भावुक, पापवृक्षवन-पावकम्। साभजित जनत जिन, भद्रिका भवति या भृशम्॥१ ४.५ चम्पकमाला जिन चार चरणों के प्रत्येक चरण में क्रमशः, भगण, मगण, सगण और गुरु होता है, उसे चम्पकमाला वर्ण-वृत्त कहते हैं। उदाहरण इस प्रकार है - __ भ. म. स. गु. 511 555 115 S नाश्रयति त्वां सद्गुणवन्तं, वञ्चित एवासौ गुणवृन्दा। या मधुकृत प्राणी भगवन्तं, चम्पकमालायामृतवन्तम्॥२ ४.६ दोधक तीन भगणों के अनन्तर दो गुरु हों, तो उसको 'दोधक' वर्णवृत्त कहा जाता है। जैसे - भ. भ. भ. गु.२ ऽ।। ।। ।।। ऽऽ रूप्य-सुवर्ण-सुरत्नमयोच्चैः, वप्र सुमध्य-चतुर्मुख-मूर्तेः। त्वं जन राजसि मानव-तिर्यग्, दिवस-दोधकर-प्रतिबोधेः॥२ ४.७ हंसमाला यह वर्ण-वृत्त है। इसमें क्रमशः सगण, रगण और एक गुरु होता है। उदाहरणार्थस. र. गु ।। 55155 भ्रमति भ्राजमान, सुतरां सर्व-लोके। तव कीर्ति-विशाला, धवला हंसमाला॥ यहाँ प्रथम पादान्त 'न' गुरु माना है। ४.८ चूड़ामणि यह सप्ताक्षर वर्ण-वृत्त है। इसका वर्ग नाम उष्णिक है। इसमें तगण, भगण और अन्त में एक गुरु होता है- ऐसा निम्नलिखित उदाहरण से प्रकट होता है, यद्यपि १. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (८) २. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (९) ३. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (१२) ४. वही, श्री वीतरागस्तव-छन्दजातिमयम् (५) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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