Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
उपर्युक्त प्रकीर्णक रचनाओं के अतिरिक्त संस्कृत भाषा में निबद्ध निम्नलिखित
लघु गीत भी पाये जाते हैं
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६.१.१.१२ सीमन्धरस्वामिस्तवनम्, पद्य ५ ६.१.१.१३ श्री शांतिनाथ गीतम्, पद्य ३
६.१.१.१४ श्री चिन्तामणि पार्श्वनाथश्लेषमयलघुस्तवनम्, पद्य ५, रचना - काल : सं० १७००, मार्गशीर्ष कृष्ण ५, रचनास्थल : अहमदाबाद । ६.१.१.१५ श्री पार्श्वनाथयमकबद्धस्तोत्रम्, पद्य ५ ६.१.२ प्राकृत भाषा में निबद्ध स्तवन
६.१.२.१ यमकबद्ध पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्
प्रस्तुत स्तवन में ९ गाथाएँ हैं। इसमें विविध उपमाओं से उपमित करते हुए भगवान् पार्श्वनाथ की उत्कर्ष रूप में स्तुति की गई है। इस स्तवन का प्रत्येक पद्य यमक अलंकार से अलंकृत है, यथा
परमपासपहू महिमालयं, जस विणिज्जिय सोमहिमालयं ॥
यहाँ प्रथम 'महिमालय' शब्द महिमा - गृह का द्योतक है और द्वितीय पर्वत का । ६.१.२.२ श्री पार्श्व लघु स्तवनम्
चार गाथाओं में निबद्ध इस स्तवन में भगवान् पार्श्वनाथ की वन्दना करते हुए 'ईर्यापथिक' सूत्र का भावानुवाद किया गया है ।
इस स्तवन का रचना - काल अनिर्दिष्ट है ।
६.१.३ मिश्रित भाषा में निबद्ध स्तवन ६.१.३.१ पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्
प्रस्तुत 'पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्' कवि की एक विशिष्ट रचना है। इसमें कवि ने प्रत्येक पद्य के प्रथम और तृतीय चरण प्राकृत भाषा में और द्वितीय तथा चतुर्थ चरण संस्कृत भाषा में बनाये हैं। इसका एक उदाहरण इस प्रकार है
मए वंदिया अज्ज तुम्हाण पाया, नितान्त गता मेऽद्य सर्वेप्यपाया ।
जहा सुठु दट्ठूण दुठुंच मोरा, भुजङ्गा व्रजेयुर्भियात्यंत घोरा ॥ ७॥
यह स्तवन कवि की भाषा संबंधी योग्यता का परिचायक है ।
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इस रचना में कवि ने पार्श्वनाथ की स्तुति करते हुए यह बताया है कि जिस प्रकार कल्पवृक्ष की सेवा निरर्थक नहीं होती, उसी प्रकार तुम्हारी भक्ति भी निरर्थक नहीं होती । जो भी भक्त तुम्हारे पाद- पंकज की शरण लेता है, वह एकाग्रचित्त होकर समस्त सुखों का लाभ प्राप्त करता है। इसमें ९ पद्य हैं। रचना - काल तथा रचना - स्थान, दोनों
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