Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
View full book text
________________
३७२
महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ऋषभदेव कुं माय बुलावै, खुसिया करेदा आपे आपे आवै। आणंद अम्मा अंग ऋषभ जी, आउ अषाड़ा कोल॥
-सिंधी भाषामय श्री आदिजिन स्तवनम् (९) २.२ यमकालङ्कार
जब किसी चरण में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आता है और हर बार अलग-अलग अर्थ में प्रयुक्त होता है, तब यमक-अलंकार होता है। यमक जैसे कठिन अलंकार के प्रयोग से अधिकांशतः काव्य में कृत्रिमता आ जाती है - ऐसा माना जाता है; किन्तु यदि हम कवि के यमक-अलङ्कार के प्रयोगों को देखें, तो यह बात सत्य नहीं लगती। कवि यमक के प्रयोग में सिद्धहस्त थे। उनके द्वारा की गई यमक की योजना पाठक को चमत्कृत किये बिना नहीं रहती है। वह कवि की कवित्वशक्ति के प्रति सहजतया नतमस्तक हो जाता है। कवि ने अधिकांश रचनाओं में यमक को यथायोग्य स्थान दिया है। इसके अतिरिक्त उन्होंने ऐसे भी स्तोत्र, गीत आदि रचे हैं, जो मात्र यमकप्रधान ही है। ऐसी रचनाएँ हैं -
(१) श्री पार्श्वनाथ यमकबद्ध स्तवनम्, पद्य ८ (२) पार्श्वनाथ यमकमय स्तोत्र, पद्य ५ (३) यमकमयं पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्, पद्य ८ (४) महावीर बृहत्स्तवनम्, पद्य १४ (५) यमकबद्ध-प्राकृतभाषायां पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्, पद्य ९ आदि। उदाहरणार्थ निम्नलिखित पंक्तियाँ अवलोक्य हैं -
प्रणत मानव-मानव-मानवं, गतपराभव-राभव-राभवम्। दुरितवारण-वारण-वारणं, सुजन तारण तारण-तारणम्॥
- श्री पार्श्वनाथ यमकबद्ध स्तोत्रम् (१) यहाँ प्रथम पाद में 'मानव' शब्द, द्वितीय पाद में 'राभव' शब्द, तृतीय पाद में 'वारण' शब्द और चतुर्थ पाद में 'तारण' शब्द की आवृत्ति होने से यमक-अलंकार स्पष्ट है। अन्य उदाहरण -
पार्श्वप्रभुं केवलभासमानं, भव्याम्बुजे हंसविभासमानम्। कैवल्यकान्तैकविलासनाथं, भक्त्या भजेहं कमला-सनाथम्॥
- श्री पार्श्वनाथ यमकबद्ध लघु स्तवनम् (१) विज्ञान-विज्ञानं नुवति के त्वां, मासार-मासारमधर्मपंके। नीराग-नीरागम-कानने, सहेला-महेला-मव हेलयंतम्॥
- यमकमयं पार्श्वनाथ लघु स्तवनम् (१) विधुवरेण्ययशः प्रसरोवर-प्रविल सद्गुण हंस सरोवरः। दिशतु में भिमतं सुमनोहरः, स्मरतिरस्कृत रूप मनोहरः॥
- यमकमयं महावीर बृहत्स्तवनम् (२)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org