Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व कर लो । एक दिन वह ध्यान में लीन था कि एक बाघ ने उस पर धावा बोल दिया, परन्तु वह सहनशील स्वभाववाला था। शुक्लध्यान में निरत रहकर उसने कैवल्य तथा मुक्ति प्राप्त की।
६.३.२९ श्री संयती साधु गीतम्
कांपिल्य नगर का राजा संजय एक बार शिकार खेलने के लिए जंगल में गया । उसने हिरण का शिकार किया। जब उसकी दृष्टि मृत हिरणों के सामने ध्यानरत मुनि पर गयी, तो वह उनके अभिशाप के भय से बड़ा भयभीत हो गया। उसने मुनि से क्षमा मांगी, तो मुनि बोले, 'राजन् ! मेरी ओर से तुम्हें अभय है। तुम भी अभयदाता बनो। जिनके लिए तुम यह अनर्थ रह रहे हो, वे स्वजन कोई भी तुम्हें बचा नहीं सकेंगे।' संजय प्रतिबोध पाकर मुनि बन गया । कवि ने लिखा है कि इसी तरह भरत, सगर आदि अनेक राजाओं ने राज्य का त्यागकर संयमव्रत ग्रहण किया था, जिनका 'उत्तराध्ययन सूत्र' में विस्तृत वर्णन उपलब्ध होता है - यही प्रस्तुत गीत की विषय-वस्तु है ।
इस गीत में ११ गाथाएँ हैं । इसका रचना - समय अज्ञात है ।
६. ३.३० श्री सनत्कुमार चक्रवर्ती गीतम्
प्रस्तुत गीत में कवि ने अख्यायित किया है कि सनत्कुमार ने अपनी सम्पूर्ण ऋद्धि-समृद्धि का परित्याग कर दीक्षा ग्रहण की और अनेक परीषहों को सहकर शुद्ध संयम का पालन करते हुए सिद्धि प्राप्त की ।
गीत में ७ पद्य हैं। इसका रचना - काल अनिर्दिष्ट है।
ऊपर हमने मुनियों से संबंधित ३० रचनाओं का परिचय प्रस्तुत किया है। ये सभी रचनाएँ भाषा में निबद्ध हैं । उपर्युक्त रचनाओं के अतिरिक्त मुनियों से संबंधित निम्नलिखित लघु गीत भी उपलब्ध होते हैं - ६.३.३१ श्री अइमत्ता ऋषि गीतम्
६.३.३२ श्री अइमत्ता मुनि गीतम् (अपूर्ण) ६. ३.३३ श्री अयवंती सुकुमाल गीतम् ६.३.३४ श्री आदित्ययशादि आठ साधु गीतम् ६.३.३५ श्री खन्दक - शिष्य गीतम् ६.३.३६ श्री गजसुकुमाल मुनि गीतम् ६.३.३७ श्री थावच्चा ऋषि गीतम् ६.३.३८ श्री करकण्डू प्रत्येक- 5-बुद्ध गीतम् ६.३.३९ चार प्रत्येकबुद्ध संलग्न गीतम् ६. ३.४० श्री जम्बूस्वामी गीतम् ६.३.४१ श्री प्रसन्नचन्द्र राजर्षि गीतम्
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