Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व यदूर्ध्वरे खाभिधर्महि पंकजे, भवान्ततः पूज्यपदं प्रलब्धवान् । प्रभो महामात्यवितीर्णकोटिशः सुदक्षिणा दो हद! लक्षणं दधौ॥ अरे ! महाम्लेच्छनृपाः पलाशिनः, पशुव्रजां, मां हत चेद्धितैषिणः। त्वमाच्छमैवं निशितान्, भृशं गुरो! नवावतारं कमला दिवोत्परम् ॥ ३८॥
-जिनसिंहसूरि पदोत्सव काव्य नमेन्द्रचन्द्र ! कृतभद्र ! जिनेन्द्रचन्द्र!
ज्ञानात्मदर्श-परिहृष्ट-विशिष्ट ! विश्व! त्वन्मूर्तिरर्तिहरणी तरणी मनोज्ञे
वालम्बनं भवजले पततां जनाम् ॥ १॥ केशच्छटां स्फुटतरां दधदङ्गदेशे,
. श्री तीर्थराजविबुधावलिसंश्रितस्त्वम्। मूर्धस्थकृष्णलतिका सहित च श्रृंङ्ग
मुच्चैस्तटं सुरगिरेरिव शातकौम्भम् ॥३०॥
- ऋषभ भक्तामर स्तोत्रम् इस प्रकार हम देखते हैं कि महाकवि समयसुन्दर की भाषा-शैली बहुआयामी है। इसीलिए उपर्युक्त विवेचन में किसी एक प्रकार की शैली का उल्लेख न करके विविध शैलियों का विवेचन किया गया है। जैसी विषय-वस्तु वैसी शैली' यही उनकी शैलीगत विविधता का कारण है। कविवर की सभी शैलियाँ प्रभावपूर्ण हैं। वस्तुतः प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति ही शैली का अथ और इति है।
समयसुन्दर की भाषा-शैली औदात्य एवं औचित्यपूर्ण है। उचित स्थलों पर उचित शब्दों का प्रयोग हुआ है। वे ही शब्द प्रयुक्त हुए हैं, जो प्रचलित हैं और व्यापक अर्थ को समेटे हुए हैं। शाब्दिक अलंकारों के प्रयोग में कवि ने संयम बरता है, मिथ्याप्रदर्शन से उनकी रचनाएँ दूर हैं। पण्डित पुरुष होने के कारण स्वभावतः जो अलंकारिकता का समावेश हुआ है, उससे उनकी भाषा-शैली अपने लक्ष्य की पूरक एवं प्रभावोत्पादक है। वह माधुर्यपूर्ण, ओजयुक्त और प्रसादमयी है। ३. भाषा-शक्ति
- साहित्य वैयक्तिक अनुभूति की विशिष्ट अभिव्यक्ति है। इसीलिए उसे सामान्य सर्वजनीन भाषा में व्यक्त करने की अपेक्षा कुछ कलात्मक भाषा में व्यक्त किया जाता है। वास्तव में विशिष्ट के प्रकाशन के लिए भाषा में भी कुछ विशिष्टता होनी चाहिये।
भाषा के मुख्य दो रूप होते हैं – १. सामान्य भाषा और २. काव्यभाषा। समयसुन्दर के साहित्य में यों तो दोनों भाषाओं का प्रयोग हुआ है, किन्तु अन्तर को दृष्टि से काव्य-भाषा प्रयुक्त है। यथार्थतः तो सामान्य भाषा ही आधार भाषा है, काव्यभाषा उसी पर आधृत होती है। दोनों भाषाओं की ध्वनि, शब्द, रूप, वाक्य आदि आधारभूत
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