Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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समयसुन्दर का वर्णन - कौशल
हिव भीम राजा मांडियऊ, वीवाह सबल वित्थिन्नि । जामीनइ मानी मिल्या, भोजन भगति जुगत्ति ॥ वरकन्या बइसारिया, अति चतुर चउरी मांहि । आरिम कारिम सहु कीया, बिहुं मनि अधिक उछाह ॥ गीत गांन मंगल गाइया, बाइया मंगल तूर । सगासणीजा सहु मिल्या, प्रगट्यऊ आणंद पूर ॥ हाथ मेलावइ हरष सुं, प्रगटियउ बहु परसेद । प्रेम रस अमातउ भीतरइ, बाहिर नीसर्यऊ भेद ॥ जिमणउ हाथ बेउ दीयऊ, बन्ध कीयउ दोय । चन्द सूरि छइ साषीया, कहि विहडई नहीं कोय ॥ हाथ मुकावण हाथिया, घोड़ा घणा असवार । दाइजउ दीधउ अति घणउ, द्रव्यतणा भण्डार ॥ बिहुँ तणा छेहडा बांधिया, जाणे बंध कीयउ एह ।
हुं थारइ तुं माहरइ, जीव एक जुजूई देह ॥ १
इसी प्रकार 'द्रौपदी - चौपाई' में सागर कुमार का विवाह वर्णन भी अत्यन्त रोचक है । 'पुण्यसारचरित्र - चौपाई' में भी पुण्यसार और लम्बोदर सेठ की पुत्रियों के विवाह का वर्णन भी प्रभावोत्पादक है। वास्तविकता तो यह है कि प्राय: सभी कथा - साहित्य में विवाह वर्णन न्यूनाधिक रूप में प्राप्त होता है ।
विवाह के समय वधु का वर्णन तो प्रायः सभी कवि करते हैं, लेकिन वर का वर्णन बहुत कम। कवि समयसुन्दर ने वर का भी मनोरम वर्णन किया है । यथा सीस वणायउ, सेहरउ, कानि दोय कुंडल लोल रे । हीयइ हार पहिरायउ, दीपती दीसइ अंगुली गोल रे ॥ बंध्या बहुं बांहे बहरखा, मोती तणी कण्ठे माल रे I हाथे हथसांकली, भलउ तिलक कीयउ वलि भाल रे ॥ चोवा चंपेल लगाविया, फूटडा पहिराया फूल रे । कारिम आरिम कीया, काइक कीधउ अनुकूल रे ॥ २
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९. युद्ध-वर्णन
समयसुन्दर ने युद्ध-वर्णन भी रस लेकर किया है। कथा - साहित्य में प्राय: युद्ध प्रसंग भी होते हैं । 'सीताराम - चौपाई' में सर्वाधिक युद्ध-वर्णन हुआ है। युद्ध से पूर्व की तैयारियों एवं योद्धाओं की गर्वोक्तियों का भी स्थान-स्थान पर चित्रण हुआ है । योद्धाओं १. नलदवदन्ती - रास (१.४.२६-३२) २. वल्कलचीरी - चौपाई (६.३-५)
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