Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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६.५.२.१८ श्री जिनसिंहसूरि हींडोलणा गीतम्
प्रस्तुत गीतका रचना - समय अनुल्लिखित है। इसमें ९ कड़ियाँ हैं । इस गीत में एक युवती अपनी सहेली को जिनसिंहसूरि का जीवन-परिचय देती हुई उनके महान् गुणों की प्रशंसा करती है। जिनसिंहसूरि का जीवन परिचय हम कवि की 'गुरु- परम्परा' में वर्णित कर आए हैं।
I
महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
६.५.२.१९ वधावा गीतम्
इसमें जिनसिंहसूरि के सद्गुणों का अभिनन्दन करते हुए उन्हें बधाई दी गई है। गीत में ६ गाथाएँ हैं। रचना - काल ज्ञात नहीं हो पाया।
६.५.२.२० गहूँली गीतम्
इस गीत में विविध गुणों से युक्त गुरु के बहुमुखी स्वरूप का विश्लेषण है । साथ ही साथ कवि ने गुरु के प्रति अपनी अगाध श्रद्धा अभिव्यक्त की है। प्रस्तुत गीत ९ गाथाओं में निबद्ध है। इसका रचना - काल अज्ञात है।
निम्नलिखित लघु गुरुगीत भी प्राप्त हैं।
६.५.२.२१ श्री गौतम स्वामी गीतम् ६.५.२.२२ एकादश गणधर गीतम् ६.५.२.२३ गुर्वावली गीतम् ६.५.२.२४ दादा श्री जिनदत्तसूरि गीतम् ६.५.२.२५ दादा श्री जिनकुशलसूरि गीतम् ६.५.२.२६ देरावर-मण्डन श्रीजिनकुशलसूरि गीतम् ६.५.२.२७ दादा श्री जिनकुशलसूरि गीत ६.५.२.२८ अमरसर-मण्डण श्री जिनकुशलसूरि गीतम् ६.५.२.२९ उग्रसेन-मण्डण श्री जिनकुशलसूरि गीतम् ६.५.२.३० नागौर-मण्डन श्री जिनकुशलसूरि गीतम् ६.५.२.३१ श्री जिनकुशलसूरि गीतम्
६.५.२.३२ दादा श्री जिनकुशलसूरि गीतम्
६.५.२.३३ भट्टारक-त्रय गीतम्
६.५.२.३४ श्री जिनचन्द्रसूरि चन्द्राउला गीतम्
६.५.२.३५ श्री जिनचन्द्रसूरि छंद ६.५.२.३६ श्री जिनचन्द्रसूरि गीतम् ६.५.२.३७ श्री जिनचन्द्रसूरि गीतम् ६.५.२.३८ श्री जिनचन्द्रसूरि स्तवनम् ६.५.२.३९ श्री जिनसिंहसूरि गीतानि
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भद्य ३
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