Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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समयसुन्दर की रचनाएँ स्तवन' आदि रचनाओं से अवगत होता है कि समयसुन्दर ने वि० सं० १६८१ का वर्षावास जैसलमेर में पूर्ण किया था। अत: विवेच्य रचना भी उसी वर्षावास में निर्मित हुई होगी। ६.२.३.३३ श्री घंघाणी तीर्थ स्तवनम्
ऐतिह्य दृष्टि से प्रस्तुत कृति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। इसमें घंघाणी तीर्थान्तरगत अर्जुनपुर में जैन तथा जैनेतर मूर्तियों का कवि द्वारा आँखों देखा चित्रण है। सम्पूर्ण मूर्तियाँ ६५ थीं, जिनमें जैन मूत्तियाँ ३७ थीं। ये मूर्तियां घंघाणी ग्राम के दूधेला नामक तालाब के पृष्ठ भाग के खण्डहर की खुदाई के समय निकली थीं। खण्डहर के सम्पूर्ण वैभव का कवि ने विस्तारपूर्वक वर्णन किया है। जिन-मूर्तियों पर अंकित अभिलेखों के आधार पर कवि ने लिखा है कि वे मूर्तियां वीर संवत् २७३ की थीं। ये जिन प्रतिमाएँ आर्यसुहस्तिसूरि द्वारा प्रतिष्ठित एवं राजा सम्प्रति द्वारा प्रतिष्ठापित थीं। इसके अतिरिक्त कवि ने घंघाणी तीर्थ का परिचय दिया है और इस तीर्थ को महाप्रभाविक बताया है।
प्रस्तुत कृति चार ढालों में गुम्फित है। कृति के अन्त में कलश' भी लिखा हुआ है। कृति का रचना समय वि० सं० १६६२ का माघ मास है।।
___ ऊपर हमने तीर्थ एवं तीर्थाधिपतियों से संबंधित भाषा में निबद्ध रचनाओं का परिचय दिया है। इनके अतिरिक्त बहुत से लघु गीत भी पाये जाते हैं, जिनका यहाँ नामोल्लेख किया जा रहा है - ६.२.३.३४ श्री अष्टापद तीर्थ भास
पद्य ५ ६.२.३.३५ अष्टापदमण्डन शांतिनाथ गीतम्
पद्य ५ ६.२.३.३६ शत्रुजयमण्डन आदिनाथ भास
पद्य ५ ६.२.३.३७ शत्रुजय तीर्थ भास
पद्य५ ६.२.३.३८ शत्रुजयमण्डन युगादिदेव गीतम्
पद्य३ ६.२.३.३९ विमलाचलमण्डन आदिजिन स्तवन
पद्य३ ६.२.३.४० विमलाचल मण्डन आदिनाथजिन स्तवन पद्य ४ ६.२.३.४१ अर्बुदाचलमण्डन युगादिदेव गीतम्
पद्य ३ ६.२.३.४२ पुरिमताल-मण्डन आदिनाथ भास
पद्य ४ ६.२.३.४३ इन्द्रवारि-मण्डन श्री चन्द्रप्रभ भास
पद्य २ ६.२.३.४४ आगरा-मण्डन श्री विमलनाथ भास
पद्य ४ ६.२.३.४५ गिरनारतीर्थ नेमिनाथ उलंभा भास
पद्य ४ ६.२.३.४६ श्रीसौरीपुर-मण्डन नेमिनाथ भास ६.२.३.४७ श्रीनडुलाई मण्डन नेमिनाथ भास ६.२.३.४८ गिरनार-मण्डन नेमिनाथ गीतम्
पद्य३
पद्य ४
पद्य २
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