Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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समयसुन्दर की रचनाएँ
कवि समयसुन्दर ने इस कृति के माध्यम से जैनधर्म के मुख्य तीर्थ-स्थलों को नमस्कार किया है, जिनमें गिरनार, आबू, अष्टापद, सम्मेत शिखर, जैसलमेर, नन्दीश्वर, शंखेश्वर आदि प्रमुख हैं। ६.२.१.३ श्री अमीझरा पार्श्वनाथ पूर्वकविप्रणीत काव्यद्वयर्थकरणमय लघु स्तवनम्
प्रस्तुत रचना वस्तुतः स्वयं कवि की रचना नहीं है, अपितु कवि कालिदास, माघ आदि पूर्ववर्ती साहित्यकारों के काव्य के अंशों को लेकर उनके अर्थों को इस प्रकार करने का प्रयास किया है कि उनसे पार्श्वनाथ की स्तुति भी अभिव्यंजित हो सकती है। प्रस्तुत रचना में ७ पद्य हैं, जिनमें अन्तिम पद्य स्वयं कविकृत है। इसमें रचना-काल एवं रचना-स्थल का निर्देश नहीं है।
तीर्थ एवं तीर्थाधिपतियों सं संबंधित उपर्युक्त प्रकीर्णक रचनाओं के अलावा एक अन्य लघु स्तवन भी प्राप्त होता है - ६.२.१.४ श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ लघु स्तवनम्, पद्य ५ ६.२.२ प्राकृत भाषा में निबद्ध रचना ६.२.२.१ श्री स्तम्भन पार्श्वनाथ स्तोत्रम्
प्रस्तुत स्तोत्र में कवि ने स्तम्भन तीर्थनायक पार्श्वप्रभु की प्रार्थना की है। कवि ने इसी गीत में धरणेन्द्र एवं पद्मावती का भी स्तवन किया है। गीत में पार्श्वनाथप्रभु का शारीरिक सौन्दर्य बहुत अच्छे ढंग से चित्रित किया गया है।
__ स्तोत्र ८ पद्यों में निबद्ध है। इसका रचना-काल अनुपलब्ध है। ६.२.३ भाषा में निबद्ध रचनाएँ ६.२.३.१ तीर्थमाला-स्तवन ।
तीर्थङ्करों के कल्याणक-स्थल, समवसरण-स्थल, विहार-क्षेत्र, मुनि-पुंगवों की निर्वाण भूमि और शत वर्षाधिक प्राचीन मंदिर तीर्थ माने जाते हैं। कवि समयसुन्दर ने प्रस्तुत स्तवन में ऐसे ११ प्रसिद्ध तीर्थों की स्तुति की है।
इसमें १० कड़ियाँ हैं । इसका रचना-काल एवं रचना-स्थल अनिर्दिष्ट है। ६.२.३.२ तीर्थ-भास
समयसुन्दर ने इस 'तीर्थ-भास' में कतिपय जैन तीर्थों को मोक्षदायक समझते हुए उनके प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की है। तीर्थ यात्रा हेतु जाने के लिए दो सखियाँ परस्पर वार्तालाप करती हैं। उसे ही इस रचना में अंकित किया गया है।
___ यह रचना ६ चतुष्पदों में गुम्फित है। इसका रचना-समय विदित नहीं हो पाया
६.२.३.३ अष्टापदतीर्थ-भास
'अष्टापदतीर्थ-भास' रचना में अष्टापद नामक तीर्थ की यात्रा करने वाले और
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