Book Title: Mahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Author(s): Chandraprabh
Publisher: Jain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
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समयसुन्दर की रचनाएँ
१४५
वस्तु-निर्देश, आदर्श सज्जन पुरुषों की प्रशंसा की है और अन्त में रचना - काल, रचनास्थल, गुरु, प्रगुरु, रचना - लेखन के प्रेरणा स्त्रोत अथवा निवेदक एवं उद्देश्य आदि का वर्णन किया है। प्रत्येक रास में एकाधिक खण्ड है और हर खण्ड में कई उपखण्ड हैं, जिसे कवि ने 'ढाल' की संज्ञा दी है। सभी कथाएँ पद्यबद्ध हैं, जो एकाधिक खण्डान्तर्गत छन्दों, रागों तथा देशियों में निबद्ध हैं । समयसुन्दर का सम्पूर्ण रास- चौपाई - साहित्य इसी पद्धति से लिखित है। इसके अन्तर्गत निम्नलिखित निर्दिष्ट कृतियां हैं:
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४.१.१ शाम्ब - प्रद्युम्न - चौपाई
४.१.३ मृगावती - चरित्र - चौपाई ४.१.५ पुण्यसारचरित्र- चौपाई ४.१.७ सीताराम - चौपाई ४.१.९ शत्रुंजय-रास
४.१.२ चार प्रत्येकबुद्ध - चौपाई ४.१.४ सिंहलसुत/प्रियमेलक तीर्थ-चौपाई ४.१.६ नल - दवदन्ती-रास
४.१.८ वल्कलचीरी - चौपाई ४.१.१० वस्तुपाल- - तेजपाल - रास ४.१.१२ क्षुल्लकऋषि- -रास
४.१.१४ गौतमपृच्छा - चौपाई ४.१.१६ पुंज (रत्न) ऋषि - रास
४.१.११ थावच्चासुत ऋषि - चौपाई
४.१.१३ चम्पकश्रेष्ठि- चौपाई ४.१.१५ धनदत्त-चौपाई
४.१.१७ द्रौपदी - चौपाई
अब हम आगामी पृष्ठों में उपर्युक्त कृतियों का परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं ४.१.१ शाम्ब - प्रद्युम्न - चौपाई
शाम्ब-प्रद्युम्न के कथानक पर अनेक जैनाचार्यों ने अपनी लेखनी चलाई है। जिनसेनाचार्य रचित हरिवंशपुराण, गुणभद्र रचित उत्तरपुराण, स्वयम्भू रचित रिट्ठणेमिचरिउ, पुष्पदन्त रचित महापुराण, धवल रचित हरिवंशपुराण में उक्त कथानक का क्रमश: विकसित रूप दृष्टिगत होता है। इस कथानक पर स्वतंत्र रूप में लिखी हुई कृतियों में सर्वप्रथम ११ वीं शती में लिखित महासेनाचार्य की 'प्रद्युम्न चरित्र' नामक कृति मिलती है, जो कि संस्कृत - भाषा में लिखी गई है। हिन्दी भाषा में इस कथानक पर साहित्यसृजन का कार्य १५वीं शती के कवि सधारु के 'प्रद्युम्न चरित्र' से प्रारम्भ होता है। शाम्बप्रद्युम्न - चरित्र पर आज तक लगभग २५ कृतियाँ प्राप्त होती हैं। उन्हीं में से एक कृति है, हमारे आलोच्य कवि समयसुन्दर कृत 'शाम्ब - प्रद्युम्न - चौपाई' |
यह कवि समयसुन्दर द्वारा लिखित प्रथम बृहत् रचना है । कवि ने स्वयं रास के आदि में यह निर्देश किया है।
१. यह कृति - क्रम रचना - काल के अनुसार है।
२. द्रष्टव्य - प्रद्युम्न - चरित्र, पण्डित चैनसुखदास, डॉ० कस्तूरचन्द कासलीवाल लिखित
प्रस्तावना, पृष्ठ १३
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