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महापुराण
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एयारह मणहरकहियाई मयदवणं तवणें तवियाई उहोम काम विद्दावणउ तहु लीणेउ झीणड रयपैसरु णामल्लउं भल्लउं जाणियउ आराहिवि साहिवि संतमइ अववग्गहु सग्गहु मज्झि जइ उच्छण्णछिष्णमिच्छत्तर्गहि तिगुणियदह तिजलहि आउहरि तेत्तीसवास सहसंतरिउ करमेत्तु गत्तु विच्छुरियदिसुं
अविहंग अंगईं गहियाई । तुंग अग खवियाई । सुहसीलहं सोलह भावणउँ । लइ लद्धरं बद्ध तित्थयरु | परिछेहु छेयहु आणियउ । जीविर्ड संप्राविउँ दिव्वगइ | निव्वाणठाण संबद्धरइ । संपुण्णपुण्णफलभुत्तिव हि । तसंखपक्खणीसासयरि । आहारु चारु जहिं अवयरिङ । जहिं णिहिल धवलु जणु णं सुजसु घत्ता - तहिं सियंगु सुच्छायड वइजयंति सो जायउ ॥ जं पेक्खिवि पेहेंहीणी भरह पुप्फदंताणी ॥ १३॥
इय महापुराणे विसट्टि महापुरिसगुणालंकारे महाकइपुप्फयंतविरइए महामन्त्र मरहाणुमणिए महाकब्वे पउमणाहवइजयंत संभवो णाम 'पंचचाकोसमो परिच्छे प्रो समत्तो ॥ ४५॥
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[ ४५.१३.१
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केवलज्ञानियों द्वारा प्रतिपादित अविकल ग्यारह अंग उसने स्वीकार कर लिये । मदको सन्तप्त करनेवाले तपमें उन्होंने उसके ऊंचे आठों अंगोंको नष्ट कर दिया । उद्दाम कामको नष्ट करनेवाली शुभशील सोलह कारण भावनाओंका ध्यान किया। उनका रतिप्रसार लोन और क्षीण हो गया, तो उन्होंने तीर्थंकरत्वका बन्ध कर लिया और उसे पा लिया । श्रेष्ठ नामप्रकृतिको जान लिया और उत्तम पुरुषकी आयुका बन्ध कर लिया । शान्तमति वह आराधना और साधना कर दिव्यगति और जीवनको प्राप्त हुआ। जिसने निर्वाणके स्थान में अपनो रति बाँधी है ऐसे वह मुनि अवग्रह स्वर्ग में ( वैजयन्त विमान में ) उत्पन्न हुए । जहाँ मिथ्यात्वरूप ग्रह नष्ट हो गया है और जो सम्पूर्ण पुण्यफलकी भुक्तिको वहन करता है, जहां तैंतीस सागर प्रमाण आयु होती है, तेंतीस पक्षों में श्वास लिया जाता है, और तैंतीस हजार वर्ष में जहाँ सुन्दर आहार किया जाता है । जहाँ दिशाओंको विच्छुरित करनेवाला एक हाथ प्रमाण शरीर होता है और जहाँ मनुष्य मानो यशके समान सब ओरसे धवल होता है ।
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घत्ता -- वहाँ उस वैजयन्त विमान में सुन्दर कान्तिवाला वह श्वेतांग देव हुआ, जिसे देखकर पुष्पदन्त ( सूर्य-चन्द्र ) की भार्या ( प्रभा ) प्रभासे हीन हो गयी ||१३||
इस प्रकार त्रेसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंसे युक्त महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित और महामण्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्यका पद्मनामवैजयन्त उत्पत्ति नाम का पैतालीसवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ ॥ ४५ ॥
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१३. १. A T मणहरणिहियाई । २. Pomits this foot. । ३. A°सीलउ | ४ A Padd after this : भावेप्णुि सिववहदावणउ । ५. P झीणउ लोणउ । ६. P रहपसरु । ७. A P संपाविउ | ८. AP उच्छिष्ण । ९. A °गिहे but gloss ग्रहे । १०. A P वित्थरियदिसु । ११. A णंदजसु । १२. A पहाणी । १३. P पंचालीसमो ।
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