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महापुराण
[ ४९. ४.१
मंदरधीर वीरु दिहिपरियरु इथिअत्थनृवथेणकहतरु । ण भणइ ण सुणइ णिप्रि णीरउ एयारहवरंगसिरिधारउ । कोहु लोहु माणु वि मुसुमूरइ .. मायाभावु होतु संचूरइ । चक्खुसोत्तरसफासणघाणइं जिणइ हणइ दुक्लियसंताणई। विहुणिवि घिवइ णिई सहुं पणएं अप्प भूसइ रिसि रिसिविणएं । ण सरइ पुत्वकालेरइकीलणु ण करइ दंतपंतिपक्खालणु । णहखंडणु सरूवपरिपुंछणु करयलवट्टि सरीरणियच्छणु । हसणु भसणु भूभंगु ससंसणु पाणिणंटु परगुणविद्धंसणु ।
साहिलासु सवियारउ दसणु णियडणिसणहरिणसंफंसणु । १० णक्खछोडि तणुमोडि ण इच्छइ परमसाहु लिहियेउ इव अच्छा
घत्ता-बंधिवि तित्थयरत्त तहिं दंसणसद्धिा तोडिवि भंति ।।
अच्चुइ पुप्फुत्तरणिलइ जायउ सुरवरु ससहरकंति ॥४॥ आउ दुवीससमुद्दपमाणई कोले गिलियई दुकपमाणई। तहु छम्मासु परिट्ठिउ जइयहुँ अक्खइ जक्खहु सुरवइ तइयहुँ । जंबुदीवि भरहि सीहउरइ धणकणजणगोहणगुणपउरइ ।
धैर्य ही जिनका परिग्रह है ऐसी मंदराचलके समान धीर वीर निस्पृह एवं निष्पाप वह, स्रो भोजन नृप और चौर्य कथाको न सुनते हैं और न कहते हैं, ग्यारह श्रेष्ठ श्रुतांगोंकी शोभाको धारण करनेवाले वह, क्रोध लोभ और मानको भी नष्ट कर देते हैं, चक्षु श्रोत्र जिह्वा स्पर्श और प्राण इन्द्रियोंको जीत लेते हैं, और पापकी शृंखलाको नष्ट कर देते हैं। प्रणयके साथ, वह निद्राको भी नष्ट कर देते हैं, और वह मुनि ऋषिकी विनयसे स्वयंको विभूषित करते हैं, वह पूर्वकालकी रतिक्रोडाकी याद नहीं करते, और न दन्तपंक्तिका प्रक्षालन करते हैं, नखोंका खण्डन, अपने स्वरूपका मार्जन, करतल रूपी वर्तिकासे शरीरको देखना, हंसना बोलना, भ्रूभंग करना श्वास लेना, हाथ हिलाना, परगुणोंका नाश करना, अभिलाषापूर्वक और विकारके साथ देखना, निकट बैठे हरिणोंका स्पर्श करना, नख छोटे करना, शरीर मोड़ना, वह नहीं चाहते । परम साधु चित्रलिखितकी तरह, स्थित रहते हैं।
पत्ता-वहाँ, दर्शन विशुद्धिसे भ्रान्तिको नष्ट कर और तीर्थकर प्रकृतिका बंधकर, अच्युत स्वर्गके पुष्पोत्तर विमानमें वह चन्द्रमाकी कान्तिवाले देव हो गये ॥४॥
उसकी आयु बाईस सागर पर्यन्त थी। समयके साथ नष्ट होने पर उसका भी अन्त आ पहुंचा। जब उसके छह माह शेष रह गये, तब इन्द्र कुबेरसे कहता है, 'जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्र में
४. १. A इत्थिअत्तिणिव and gloss अत्ति भोज्यं; P इथिअत्यणिव । २. A P णिप्पिड । ३. AP
मोहु । ४. P णिद्दे । ५. A पुव्वकालि। ६. P परिपेच्छणु । ७. A पाणिणिह। ८. Aणिसष्णहं
हरिणहं फंसण; P"णिसण्णहं णवि संफंसणु । ९. P लिहिउ इव । ५. १. AP°समाणई । २. A कालि ।
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