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५२२ महापुराण
[LV8. 76 बलदेव और वासुदेवका जन्म माताओंके द्वारा स्वप्न में देखे गये सूर्य और चन्द्रने पहलेसे . घोषित कर दिया।
8. 90 बीयउ उववादेविइ दढउ-द्विपष्ठ वासूदेवकी माताका नाम उववादेवी है-जैसा कि यहाँ दिया गया है । यद्यपि गुणभद्रने उसका नाम उषा दिया है : तुलना कीजिए :
तस्यैवासी सुषेणाख्योऽप्युषायामात्मजोऽजनि ।
द्विपृष्ठाख्यस्तनुस्तस्य चापसप्ततिसंमिता ॥ 58184 9. 10b गलियंसुयई सुहद्दहि णयणई-३ अचलको मारूँगा और उसकी सुभद्राको बात-बातमें आंसू बहानेके लिए विवश करूंगा। ___12. 10-12 रायत्तणु इत्यादि-रायमें श्लेष है, जिसका अर्थ है राजन् और राग ।
17. 8a रासह होइवि-तारक द्विपृष्ठकी तुलना गधेसे और अपने हाथीसे करता है। 10a गोवालबाल-ग्वालेका पुत्र, बालक । वासुदेवका एक विशेषण है, जो कि हिन्दू पुराण विद्याके अनुसार ग्वालोंमें रहे और वहीं बड़े हुए।
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3. 6b तह गुण किं वण्णइ खंडकइ-खण्डकवि ( पुष्पदन्त ) उसके गुणोंका वर्णन किस प्रकार कर सकता है । खण्डका अर्थ है टूटा हुआ, अधूरा जो पुष्पदन्तका एक उपनाम है।
7. 8bणायभव, नाकभवा-देवता। 16 गिर्भ जित्त सियालउ-ग्रीष्मऋतुने शीतको पराजित कर दिया। यह एक निमित्त था कि जिससे विमलनाथ विश्वकी अपूर्णताका अहसास कर सकें।
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1. 6a धणु सुरघणु जिह तिह थिरु ण ठाइ-इन्द्रधनुषकी तरह धन व्यक्तिके पास स्थायी रूपसे नहीं रहता। 7a भायर णियभायहु अवयरंति-भाई भाईके साथ बुरा बर्ताव करते हैं ।
2. 8a-b चर इत्यादि-चर. गमण. छेज्ज और कडढण-पाँसेके खेलके विभिन्न प्रकार है जो विरोधीपर आक्रमण करने और उसके अधिकारको चार्जमें लेने में है। 9b एक्के उडिउ णियरज्जु तामउनमें से एकने ( सुकेतु ) अपनी राजधानी खो दी। ध्यान दीजिए कि उडिउका प्रयोग आधुनिक मराठी में उडवणेके रूप में सुरक्षित है।
6. 4 महुराउ भणहि महघोट्ट काइं-तुम मधुको राजा कैसे कहते हो कि वह मधुसे भरा मुखवाला है ? मधु राजाके सम्बन्धमें इतने ओछे शब्दों में तुम कैसे बोल सकते हो ? 7a णीलणियासणेणधर्मबलदेवके द्वारा जो कि नीले वस्त्र धारण करता है । बलदेवको नीलाम्बर कहा जाता है । तुलना कीजिए : नीलाम्बरो रोहिणेयः कालांको मुसली हली-अमरकोश ।
7. - 10a उविदुप्पणरोसु-उविंदु + उप्पणरोसु, उपेन्द्र अर्थात् । स्वयंभू-वासुदेव क्रुद्ध हो गये। 1la-b जइ लोहिउ-मैं अपने भाईके वरणोंकी शपथ खाता हूँ यदि मैंने वेतालको मधु रक्त नहीं पिलाया। पायमि पाययामिका रूप है । 'पा' धातुका प्रेरणार्थक रूप ।
8. 1 वसुहासुउ-वसुधाका पुत्र-अर्थात् स्वयंभू । स्वयंभू की माताका नाम । इस पर्यायवाची शब्दका उपयोग कविने पृथ्वीके अर्थ में किया है, जैसा कि हम 4 और 70 के रूपोंसे देखते हैं।
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