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णी रेह सममुह पंकएण कहलणित्तेइयकयखलेण
बलएवहु पइसरु सरणु अज्जु ज्जु विमई अक्खिउ तुज्झु सारु आरुहसु म जमसासणु अजाण महिमा म रणि बाणविट्ठि
महापुराण
दे देहि किं पिएण तुहुं किंकरु हउं तुहुं परमणाहु इय भणिवि विसमभडघा इणीइ सीयासुण भग्गइ अणीइ तारिणा घल्लिउ फुरियधारु गिरिधरणिबलय चालणवलेण सो रेहइ तेण सुणिम्मलेण णियैरुव परज्जियणित्तणेण
धत्ता - पडिकण्हें भणिडं सतहें फलवज्जिउ कि गजहि । धनुदंडे डिंभेय कंडे रे कुमार मई तज्जहि ॥ २१ ॥
२२
पंकणा दुष्कपण । खलु दुच्छि दुद्दमभुयबलेण । अज्ज वि उ णासइ मित्तकज्जु । सारुइमुइ अवरु वि हथियारु । जाणेण जाहि मुक्का हिमाण |
विट्ठि व भीसण तुह हणइ तुट्ठि ।
[ ५८. २१.५
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दुण्यवंतें सुइविप्पिएन । किं बद्धउ विलु पहुत्तगाहु । जुझि विज्जइ बहुरूविणीइ । बहुरुविण जय पडिरूविणीइ । रहचरणु चलु सहसारफारु । तं हरिणा धरियड करयलेण । णवमे व रविणा णित्तलेणें । अलियंजणसा में पत्तलेण ।
वीरोंके शरीरोंसे रक्तकी जलधारा बह रही है, ऐसे उस युद्ध में कमल के समान मुखवाले, दर्पसे अंकित, जिसने हलसे खलको निस्तेज कर दिया है, ऐसे दुर्दम बाहुबलवाले दुष्टकी पंकजनाभने खूब भर्त्सना की और कहा - 'अरे तुम बलदेवकी शरण में चले जाओ, मित्रके कामको तुम आज भी नष्ट मत करो। मैंने तुमसे सारकी बात कह दी है । तुम उसे करो। दूसरा हथियार छोड़ दो, हे अजान, तू यमके शासनपर अधिरोहण क्यों करते हो । अभिमानसे मुक्त होकर तुम यानसे जाओ, युद्धमें मेरी बाणवृष्टिको मत मानो, वह वर्षाकी तरह भीषण तुम्हारे आनन्दको नष्ट कर देगी ?"
घत्ता - सतृष्ण प्रतिकृष्णने कहा, "बिना फलके तुम क्यों गरजते हो, हे बालक कुमार, तुम धनुषदण्ड और बाणसे मुझे धमकाते हो ॥ २१ ॥
२२
तुम कर दो, दुर्विनीत और कानोंके लिए अप्रिय कहनेसे क्या ? तुम मेरे अनुचर हो, में तुम्हारा परम स्वामी हूँ। तुमने विफल प्रभुत्व यश क्यों बांधा ?" यह कहकर विषम योद्धाओंको मारनेवाली बहुरूपिणी विद्यासे वह लड़ा। सीतापुत्र नारायणके द्वारा सैन्यके नष्ट होनेपर प्रति बहुरूपिणी विद्या द्वारा बहुरूपिणी विद्या जीत ली गयी । तब शत्रुने चमकती हुई धारवाला चपल हजारों आराओंवाला चक्र छोड़ा। पहाड़ और पृथ्वीमण्डलको चलानेके बलवाले हरि (सुप्रभ) ने करतल से उसे धारण कर लिया; उस निर्मल चक्रसे वह ऐसा शोभित होता है जैसे निर्दोष सूर्य से नवमेघ शोभित हो। अपने रूपसे मनुष्यत्वको पराजित करनेवाले भ्रमर ओर
२. AP दोच्छिउ । ३. Aवि । ४. AP सहें । ५. AP डिभियकंड़े २२. १. A बहुरूपिणि । २. तरणु । ३ AP सहसारु फारु । ४. AP णित्तर्वण । ५. A omits Ba
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