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महापुराण
[६४. १.८
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जें वुत्तु अहिंसावित्तिसुत्तु
'जो गणिवि ण याणइ अक्खसुत्त । जो दंसियसासयपरममोक्खु णउ करइ पिणाएं कंडमोक्खु । जो तिउरडहणु जियकामदेउ । पहु परमप्पउ देवाहिदेउ। जे रक्खिउ सण्हु वि जीउ कुंथु सो वंदिवि रिसिपरमेहि कुंथु । पुणु कहमि कहंतर दिव्वु तासु दालिद्ददुक्खदोहग्गणासु। घत्ता-एत्थु जि जंबूंदीववरि पुत्वविदेहि महाणइ ॥ .
णामें सीय सलक्खणिय तं को वण्णहुँ जाणइ ॥१॥
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तहि दाहिणतीरइ वच्छदेसि डिंडीरपिंडपंडुरणिवासि । सोहिल्लसुसीमाणयरि रम्मि अणवरयमहारिसिकहियधम्मि । सीहरहु सीह विक्कमु महंतु
णरवइ णियारिकुलबलकयंतु । अणुइंजिवि भोउ सुदीहकालु जोयंते कहिं मि णहंतरालु । । णिवेडंत णिहालिय तेण उक्क संसारिणि रइ णीसेस मुक्क । जइवसहहु पासि हयत्तिएहिं पावइयउ सहुं बहुखत्तिएहिं । एयारहंगधरु सीलवंतु
वणि णिवसइ रुक्खु व अणलवंतु । - तिणि कणि सचित्ति गउ चरणु देइ वयविहिअजोग्गु दिण्णु वि ण लेइ । हैं, जो हाथमें छुरी और खप्पर नहीं लेते । जिन्होंने अहिंसा-वृत्तिके सूत्रोंका कथन किया है, जो अक्षसूत्रोंको गिनना नहीं जानते, जिन्होंने शाश्वत परम मोक्षको देखा है, जो अपने धनुषसे तीरोंको नहीं छोड़ते, जो त्रिपुरका दाह करनेवाले और कामदेवको जीतनेवाले हैं, जो प्रभु परमात्मा और देवाधिदेव हैं, जिन्होंने सूक्ष्मजीवकी भी रक्षा की है, ऐसे उन ऋषि परमेष्ठी कुन्थु जिनकी वन्दना कर, मैं फिर दारिद्रय दुःख और दुर्भाग्यको नष्ट करनेवाले उनके दिव्य कथान्तरको कहता हूँ।
पत्ता-इस श्रेष्ठ जम्बूद्वीपके पूर्वविदेहमें लक्षणोंवाली महानदी सीता है। उसका वर्णन करना कौन जानता है ? ॥१॥
उसके दक्षिण किनारेपर वत्स देश है, जहाँके निवासगृह फेनसमूहके समान धवल हैं, जो शोभित सीमाओं और नगरोंसे सुन्दर हैं। जहां महामुनियों द्वारा अनवरत रूपसे धर्मका कथन किया जाता है । उसमें अपने शत्रुकुल के बलके लिए यमके समान सिंहके समान विक्रमवाला राजा सिंहरथ था। लम्बे समय तक भोगोंको भोग चुकनेके बाद किसी समय आकाशके अन्तरालको देखते हए उसने एक टूटते हए तारेको देखा, उसकी संसारमें रति नष्ट हो गयो। जिन्होने पोड़ाओंको आहत किया है, ऐसे अनेक क्षत्रियोंके साथ यतिवृषभ मुनिके पास वह प्रवजित हो गया। ग्यारह अंगोंको धारण करनेवाले शीलवान् वह वनमें वृक्षकी तरह मौन रूपसे निवास करते हैं। संचित कण और तृणपर वह पैर नहीं रखते। दो हुई जो चीज व्रतविधिके अयोग्य है, वे उसे
६. A omits this foot. ७. Pण जाणइ । ८. P जंबूदीवि वरि । २. १. A भोय । २. AP णिवडंति । ३. A तणे । ४. A दिण्णउ ण लेइ।
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