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महापुराण
[ ५९. १०.५विजयादेविहि गब्भइ उप्पण्णउ धवलु
सो णरर्वसहवरामरु भुयजुयबैलपबलु । सुहिहिं सुदंसणु कोक्किउ कुलसरहंसवरु
तहिं अवसरि माहिदहु णिवडिउ सई इयरु । अहरबिंबरुइणिजियणवरविबिंबियहि
सो सुमित्तु सुउ जायउ उयरइ अंबियहि । पुरिससीहु हक्कारिउ लहुयउ बंधवहिं
____पहु पमाणु संपत्तउ थणयथणधुयहिं । ते बेणि वि ससियरहिमकज्जलगरलणिह
___बेण्णि वि ते सुरगिरिवरसंणिहमाणसिह । बेणि वि ते बल केसव वासवविहियभय
ते बिण्णि वि नृवंसिरमणिकिरणारुणियपय । ते बिणि मि संसेविय विजाजोइणिहिं
___समलंकिय हरिवाहिणिगारुलवाहिणिहिं । ते तेहा" आयण्णिवि परसिरिअसहणउ
___ महुकीलउ आरुट्ठउ रणि जुज्झणमणउ । पेसियदूएंजाइवि बोल्लिय रायसुय
किं तुम्हइंण कयाइ वि एही वत्त सुय । घत्ता-खोणीयलपालहु जो महुकीलहु कप्पु देइ सो जीवइ ।
हलहर सुहभायण "सुणि णारायण अवरु जमाणणु पावइ ॥१०॥ विजयादेवीके गर्भसे वह धवल बाहुबलसे प्रबल देव उत्पन्न हुआ। सुधीजनोंने कुलरूपी सरोवरके हंस उसे सुदर्शन कहकर पुकारा। उसी अवसरपर माहेन्द्र स्वर्गसे अवतरित दूसरा देव, स्वयं जिसने अधरबिम्बोंको कान्तिसे नव रविबिम्बोंको जीत लिया है, ऐसी अम्बिका नामकी दूसरी रानीके उदरसे वह सुमित्र पुत्र हुआ। छोटे भाइयोंने पुरुषसिंह कहकर पुकारा। वह प्रभु शीघ्र बालकों और तरुणोंमें प्रामाणिकताको प्राप्त हो गये। वे दोनों ही चन्द्रमा, हिम, काजल और गरलके समान रंगवाले थे। वे दोनों ही सुमेरपर्वतके समान मानसे श्रेष्ठ थे। इन्द्रको भय उत्पन्न
ले वे दोनों बलभद्र और नारायण थे। जिनके पैर राजाओंके शिरोमणिकी किरणोंसे अरुण हैं, ऐसे थे। वे दोनों ही विद्याओं और योगिनियोंके द्वारा सेवित थे। वे दोनों हरिवाहिनी और गरुड़वाहिनियोंसे अलंकृत थे। उनको इस प्रकारका सुनकर दूसरेकी लक्ष्मीके प्रति असहिष्णु युद्धकी इच्छा करनेवाला मधुक्रोड़ युद्ध में क्रुद्ध हो उठा। उसके द्वारा भेजे गये दूतने राजपुत्रोंसे जाकर कहा
पत्ता-हे शुभभाजन हलधर और नारायण सुनिए, जो राजा मधुक्रीडको कर देगा वही जीवित रहेगा। दूसरा यमाननको प्राप्त करेगा ॥१०॥
४. A णरवसहु । ५. A °पबलबलु। ६. A णिवडिउ सो इयवरु । ७. P अवरह । ८. A यण्णयथणचुवहि; Pथणयथण्णधुवहिं। ९. AP बेणि मि ते। १०. AP णिवं। ११. AP तहा । १२. AP बोल्लिय जाइवि । १३. AP णिसुणि णरायण ।
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