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महापुराण
[ ५४. १३.९भद्दसुभैहउवायाणंदण
दुहमदाणववंदविमद्दण । जिह जिह तारएण अवलोइय तिह तिह मइ विभयवहि ढोइय । बलपम्भारें मेइणि हल्लइ
विसहरु तसइ रसइ विसु मेल्लइ । घत्ता-करिकारणि तारयमाहवहं सेण्णई संमुहुँ ढुक्कई ।
लग्गई पकलपाइक्कमुहमुक्कहक्कलल्लक्कई ॥१३॥
दुवई-दसदिसिवहपयासिजसलुद्धई मुहमरुभमियभेमरयं ।
धणुगुणमुक्कमंदसरजालई कयसुरणियरडमेरयं ।। जायघायलोहियभरियंगई
आइरंगरंगंततुरंगई। भडताडियपाडियमायंगई
झसतिसूलकरवालपसंगई। वज्जमुट्ठिफोडियसीसकई
णीसारियमत्थयमत्थिक्कई । दंडदलियवियलियपासुलियई चलियइं उल्ललियइं पडिवलियई। पित्तसेभसोणियजलण्हायई
असिणिहसणसिहि सिहवसु आयई। मोडियकडियलकोप्परठाणई विह डियदेहसंधिसंठाणई। संघारियसामंतसहासई
मयमंडलियमउडभाभासई । १० परिपोसियसिववायसगिद्धई सिरिमहिरामारमणपलुद्धई। हैं; जो हल, धनुष तथा देव-अस्त्र जिनके हाथ में हैं, दुर्दम दानवसमूहका दमन करनेवाले हैं, ऐसे कल्याणी सुभद्रा और उषाके पुत्रोंको जैसे-जैसे तारकने देखा, वैसे-वैसे उसकी मति आश्चर्यपथमें चकरा गयो । सेनाके भारसे धरती हिल उठती है, विषधर त्रस्त होता है, चिल्लाता है और विष छोड़ता है।
पत्ता--हाथीके लिए तारक और माधवकी सेनाएं आमने-सामने पहुंचीं। प्रगल्भ भृत्योंके मुखसे बोले गये हकारने और ललकारनेके शब्दोंसे युक्त वे दोनों लड़ने लगीं ॥१३॥
जो दसों दिशापथोंमें प्रकाशित यशकी लोभी हैं, जो मुखको हवासे भ्रमरोंको उड़ा रही हैं, जो धनुष-डोरोसे मन्द सरजाल छोड़ रही हैं। जिन्होंने देवसमहके साथ युद्ध किया है, जिनके अंग घावसे उत्पन्न रक्तसे भरे हुए हैं, जिसमें अश्व युद्धके उत्साहमें चल रहे हैं, योद्धाओंसे ताड़ित गज गिर रहे हैं, जो झस-त्रिशूल और करवालसे युक्त हैं, जिनमें वज्रमुट्टियोंसे शिरस्त्राण तोड़े जा रहे हैं, जहां मस्तकोंसे मस्तक निकाले जा रहे हैं, जहां दण्डसे दलित और विगलित पसुरियां चलती हैं, गीली होती हैं और मुड़ती हैं। पित्त, श्लेष्मा और शोणित जलमें स्नात वे तलवारोंकी रगड़से उत्पन्न अग्निकी ज्वालाके वशीभूत हो गयी हैं। जिनके कटितल और हाथका मध्यभागस्थान मुड़ गया है, देहके सन्धिस्थान विघटित हो गये हैं, सामन्तोंके सहायक मारे जा चुके हैं, जो मरे हुए माण्डलीक राजाओंके मुकुटोंको कान्तिसे भास्वर हैं, जिन्होंने शृंगाल-वायस और गिद्धोंको सन्तुष्ट किया है, जो लक्ष्मी, मही और स्त्रीके रमणके लोभी हैं ।
___३. AP°सुभद्दावाया । ४. AP°विदं । ५. AP रसइ तसइ । १४. १. AP°भमरई । २. AP°डमरई । ३. A°कडयल । ४. A मुय ।
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