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महापुराण
[ ५७. २३. ६खवइ पुराइउ कम्मु गयालसु तहु सुउ रयणाउहु रइलालसु । माणइ सोक्खु ण तिप्पइ भोएं णं मयरहरु तरंगिणितोएं। जायवेउ णं तरुपब्भार
अइरारिउ वित्थरइ वियारें। घत्ता-अण्णहि दिणि पवरुज्जाणहरि गिरिसरिखेत्तविहूसियउ ॥
सिरिवज्जदंतमुणिणा जणहु तिहुयणमाणु पयासियउ ॥२३॥
विजयमेह णामें कुंभीसरु णिवेकल्लाणकारि जलहरसरु । तं णिसुणिवि मुणिमासिउ कंखइ दिण्णु वि मासगासु ण वि भक्खइ। मंतिविज्ज आउच्छइ राणउ महु तंबेरमु किं विदाणउ । ताव तेहिं अवलोइउ जाइवि लक्खिउ तणु गुणदोस पैलोइवि । जंगलकवलु णिबद्ध ण ढोइउ पयघियकूरपिंडु संजोइउ । सो कवलिउ करिणा करु देते वजदंतु पुच्छिउ महिवंते। मत्थएण वंदिवि मुणिपुंगमु मासु ण खाइ कई तंबरमु । कहइ महारिसि जियवम्मीसरु एत्थु भरहि छत्तउरि गरेसरु । पीयभह णामें णं वम्महुं
सइदेवीवइ णावइ सयमुहं। १० घत्ता-पीइंकरु पुत्तु पसिद्ध जइ मंतिवि जाणि चित्तमइ ।
कमला इव कमला तासु पिय तणुरुहु ताहं विचित्तमइ ॥२४॥ चारित्रसे अभ्रान्त पुत्र भी पिताके पास दीक्षित हो गया। आलस्यसे रहित पूर्वाजित कर्मको वह नष्ट करता है, उसका रतिको लालसा रखनेवाला पुत्र रत्नायुध खूब सुख मानता है, भोगसे तृप्त नहीं होता, जैसे समुद्र नदियोंके जलसे तृप्त नहीं होता, जैसे वृक्षसमूहसे आग अत्यन्त उद्दीप्त होकर फैल जाती है।
____घत्ता-एक दूसरे दिन प्रवर उद्यानगृहमें श्री वज्रदन्त मुनिने गिरि, नदी और क्षेत्रसे विभूषित त्रिभुवन-विभाग लोगोंको बताया ॥२३॥
राजाका विजयमेघ नामका जो कल्याणकारी और मेघके समान स्वरवाला गजराज था, यह सुनकर मुनिके कथनको चाहने लगता है और दिये हुए मांसके कोरको नहीं खाता। राजा मन्त्रियों और वैद्योंसे पूछता है कि मेरा हाथी दुबला क्यों हो गया है। तब उन लोगोंने जाकर देखा और गुणदोष देखकर उसकी परीक्षा की। उसे बंधा हुआ मांसका कौर नहीं दिया गया, दूध, घी और भातका आहार दिया गया । सूड देते हुए हाथीने उसे खा लिया। राजाने सिरसे प्रणाम करते हुए मुनिश्रेष्ठ वनदन्तसे पूछा कि यह हाथी मांस क्यों नहीं खाता । कामदेवको जीतनेवाले महामुनि कहते हैं, इस भरतक्षेत्रके छत्रपुरमें प्रीतिभद्र नामका राजा था, जो मानो कामदेव था। (वह वेसा ही था) जैसे इन्द्राणीका पति इन्द्र ।
पत्ता-जगमें उसका प्रीतिंकर नामका प्रसिद्ध पुत्र था और मन्त्री भी चित्रमति था। उसकी पत्नी कमला कमला ( लक्ष्मी) के समान थी। उन दोनोंका पुत्र विचित्रमति था ॥२४॥
३. A मयहरु । ४ AP अवरहि दिणि । २४.१. A णवकल्लाण । २. पलोयवि; P पलाइवि । ३. A पीइभद्द; P पाइभ ।
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