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महापुराण
[४९. १४.३णिवुउ कम्मपडलपरिमुक्कर अट्ठमु धरणिवीदु खणि दुकउ । देहपुज किये दससयणेत्तें
करपंजलिघल्लियसयवत्तें। कलु विरसंतिहिं भंभाभेरिहिं णच्चंतिहिं गोरिहिं गंधारिहि । उठवै सिरंभतिलोत्तमणारिहिं सुरकामिणिहिं विइण्णवियारहिं । तुंबुरुणारयझुणिझंकारहिं
तहिं पणवंतहिं जलणकुमारहिं । णोणाविहपुप्फाई व चित्तई सीयलचंदणजलेण व सित्तई । दिण्णई दीवधूव अपमाणई णीलीकयअमरंगणजाणहिं । दीर्दू धमु जो गयणि व लग्गउ णाई हुयासकलंकु विणिग्गउ । जिर्णतणुसेवइ पंकु पणासइ सच्चउं भासइ माय सरासइ । णविवि णिसिद्धिं भत्तिअणुराएं जंतें जंपिउ सुरसंघाएं । घत्ता-भरहि पण?उ उद्धरिउ विणिवारेप्पिणु कुसमयकम् ।।
सेयंसें बहुसेययरु कुंदपुप्फदंतें जिणधम्मु ॥१४॥ इय महापुराणे विसट्टिमहापुरिसगुणालंकारे महाकपुप्फयंतविरहए महामव्वमरहाणुमण्णिए __ महाकच्चे सेयंसणिवाणगमणं णाम एक्णपण्णासमो परिच्छेओ समत्तो ॥१९॥
॥सेयंसजिणचरियं समत्तं ॥
कर्मपटलसे परिमुक्त वह निवृत्त हो गये। एक क्षणमें आठवीं भूमि पर जा पहुंचे। अपने हाथोंसे जिसने शतपत्र फेंके हैं, ऐसे इन्द्रने उनकी देह पूजा की। सरस बजते हुए, भंभा भेरी आदि वाद्यों के साथ, नाचती हुई गोरी गांधारी उर्वशी रंभा तिलोत्तमा आदि स्त्रियोंको विकार-उत्पन्न करनेवाली कामिनियों, तुम्बर और नारद को ध्वनियोंकी झंकारोंके साथ, वहां प्रणाम करते हुए अग्निकुमार देवोंके द्वारा पुष्पांजलियां डाली गयीं ओर शीतल चन्दनसे सिक्त, आकाशके प्रांगण में स्थित यानोंको नीला बनानेवाली दीप-धूप दी गयी। दोपका धुंआ आकाशमें इस प्रकार लग गया, जैसा आगका कलंक निकल गया हो। माता सरस्वती ठीक ही कहती हैं कि जिनवरके शरीरकी सेवा करनेसे पंक नष्ट हो जाता है, भक्तिके अनुरागसे मनुष्यकी सिद्धिको प्रणाम कर, जाते हुए सुरसमूहने उक्त बात कही।
घत्ता-खोटे सिद्धान्त और आचरणका निवारण कर, भरतक्षेत्रमें नष्टप्राय बहुश्रेयस्कर जिनधर्मका कुन्द पुष्पके समान दांतोंवाले श्रेयांस जिनने उद्धार किया ॥१४॥
इस प्रकार नसठ महापुरुषोंके गुणालंकारोंसे युक्त महापुराणमें महाकवि पुष्पदन्त द्वारा विरचित एवं महाभब्य भरत द्वारा अनुमत महाकाव्य का श्रेयोस
निर्वाग-गमन नामक उनचासवाँ परिच्छेद समाप्त हुआ ॥१९॥
१४. १. A णिव्वुई । २. P किय । ३. A उब्भसरंभ । ४. AP सिहि संधुक्किय । ५. AP omit this
line and the following | ६. AP add after this : चित्तई चंदणवंदणकट्ठई; जलियई णाहहु अंगई दिट्ठई। ७. AP णीलु धूम गयणंगणि लग्गउ । ८. A P जिणु तणु। ९. A णिसिहि । १०. AP omit this line 1
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