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महाकवि पुष्पदन्त विरचित
णं वसंत पहु पड़हउ वज्जइ । महरु म पिविणं गायइ । अम्हारडं वणु अण्णु जि दीसइ । पल्लवियडं कुसुमोलिहिं भरियउं । ही सयलहु लोयहु परिणइ । परिणामहु जडु जीउ ण चुक्कइ । निष्परिणाम सिद्ध परमेट्ठी ॥ हो हो अथिरेण महुं णिच्चल तेत्थु णिरंभिवि दिट्ठी ||१०||
घत्ता - जगु परिणा में दूसियउ
-४९. ११. ८ ]
पुणु कोइ कलस गज्जइ रुरुतु अप्पाणु ण चेयइ ता परमेसर मणि मीमंसइ काले कंटेंइयडं अंकुरियरं फलिडं फलावलीहिं णं पणवइ परिणेमंतु जगु णिविसु ण थक्कइ
ता संपत्त तेत्थु सुरवरगुरु सो आइंडलु तं सुरमंडलु आय पुणु व हवणु किउं देवहु विमेलें सिवियाजाणं णिग्गउ फग्गुणि कसणि एयार सिदियहइ सवणरिक्खि उवस मियकसायल
वासवेण रिसि जायउ दरिंदें एंतु पडिच्छिउ
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तेहि तुरिउ पडिबोहिउ जगगुरु । तं अच्छरउलु मणिमय कुंडलु । निट्ठियचरियावरण विलेवहु । हुमणोहरु णंदणवणु गड | दियाहिवि अवरासासँगइ | भूवैइ मुक्कभूइभूभायउ । सिद्धत्थर पुरु भिक्खहि आयउ । सुद्धपिंड तहु तेण पयच्छिउ ।
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किया था । फिर कोयल कलकल शब्दमें गरज उठती है मानो वसन्त राजा अपना नगाड़ा बजा रहे हैं। भ्रमर गुनगुन करता हुआ, स्वयं नहीं चेतता, मानो वह मधु पीकर गा रहा है, तब परमेश्वर अपने मनमें विचार करते हैं कि हमारा वन तो आज दूसरा दिखाई दे रहा है। यह कालसे कंटकित और अंकुरित पल्लवित और पुष्पपंक्तियोंसे भरा हुआ है और फलकी कतारोंसे लदा हुआ मानो झुकता है, यही समस्त लोककी परिणति है । परिणमन करता हुआ यह विश्व एक क्षणके लिए नहीं रुकता और परिणामसे यह जड़ जीव एक पलके लिए नहीं चूकता ।
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धत्ता - यह विश्व परिणामसे दूषित हैं केवल सिद्ध परमेष्ठी परिणामसे रहित हैं । यह अस्थिरता रहे रहे, मैं अपनी निश्चल दृष्टिको वहीं अवरुद्ध करूंगा ||१०|
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तब इतने लोकान्तिक देव वहाँ आ गये । उन्होंने तुरन्त वहां विश्वगुरुको सम्बोधित किया । वही इन्द्र, वह सुरसमूह, वह मणिमय कुण्डलवाला अप्सरा कुल, वहीं आया । चारित्रावरण कर्मके अवलेपको नष्ट करनेवाले देवका फिर अभिषेक किया गया । पवित्र शिविकायान में बैठकर देव निकले और स्वामी सुन्दर नन्दन वनमें पहुँचे । फागुन माह के कृष्णपक्षकी एकादशी के दिन, सूर्यके पश्चिम दिशा में प्रवेश करनेपर श्रवण नक्षत्र में, जो ऐश्वर्य और धरतीके भावसे मुक्त हैं, ऐसे वह उपशान्तकषाय राजा दो उपवासोंके साथ मुनि हो गये । वह सिद्धार्थ नगर में आहारके लिये गये ।
३. AP पिएइ । ४. P कंटइयउं कुरियउं । ५. A परिणवंतु । ६. AP परमेट्ठिहि । ७. A होही । ८. A णिच्चल तेसु णिरुभिवि दिट्ठिहि; P णिच्चलत्तेसु णिसंभिवि दिट्ठिहि ।
११. १. Aवरणु । २. AP विमल । ३. A भूयई ।
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