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महापुराण
[४६. ८.१
आवेप्पिणु पंजलिहत्थएहिं दूराउ पणामियमत्थएहिं। पंचमगइसंमुहूं मउज्झुणीहिं __ पडिसौरिउ आईडलमुणीहि । मुहपयलमाणधारासिवेहि अहि सिंचिउ विहु अजुणणिवेहिं । कल्लाणाहरणविहूसियंगु पैरदिण्णदाणु णं वरमयंगु । वरचंदु सणंदणु णिहिउ रजि तहिं कालइ सुरहयविविहव जि । सिवकंखइ पहु सिवियहि चैंडिण्णु संवत्तुवणंतरि समैवइण्णु । दयविच्छिण्णीगरुईणिसीहि पूसम्मि कसणएयारसीहि । अणुराहाणक्खत्तावयारि . णिण्णेहत्तणु जुंजिउ सरीरि। गिल्लूरियि मंदिरमोहवासु लुचिवि घल्लिउ सिरकेर्सवासु । णिक्खंतु लेवि छट्ठोववासु सुहं पावइयउ रायहं सहासु। तहुं को वि ण मित्त ण को वि वेसु मज्झत्थु महत्थु विसुद्धलेसु । दंडग्गविलंबियचेलमयरि अवरहि दिणि पइसइ गलिणणयरि ।
घत्ता-उ करयलि पत्तलि पत्तु ण वि णउ पइ णे उरघोसणु ॥ ___णउ भूरिभूइ भुरकुंडियउ णउ 'मैसिरेहाभूसणु ॥८॥
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हाथ जोड़े हुए दूरसे प्रणामके लिए मस्तिष्कको झुकाते हुए, कोमल स्वरवाले श्रेष्ठ इन्द्रोंने उन्हें प्रोत्साहन दिया। जिनके मुखसे धाराजल निकल रहे हैं ऐसे धारा कलशोंसे अभिषेक किया गया। कल्याणके आभूषणोंसे विभूषित-अंग वह ऐसे मालूम होते थे मानो परदिण्णदान (दूसरोंको जिसने दान, या मदजल दिया हो ऐसा) मातंग (महागज) हो। उसने अपने पुत्र वरचन्द्रको राज्यमें स्थापित किया। देवों द्वारा बजाये गये विविध वाद्योंके उस कालमें मोक्षको आकांक्षासे प्रभु शिविकापर चढ़े और सर्वतु वनके भीतर अवतीर्ण हुए। पूस माहको, दया (कल्याण दीक्षा) से विस्तीर्ण, कृष्ण एकादशी की रात्रिमें अनुराधा नक्षत्रका अवतार होनेपर, वह शरीरसे स्नेहहीन हो गये, अर्थात् उन्होंने दीक्षा ग्रहण कर ली। घरके मोह और वर्षों को दूर कर तथा सिरके बालोंको उखाड़कर फेंक दिया। छठा उपवास करते हुए और संन्यास लेते हुए एक हजार राजा भी सुखपूर्वक संन्यासी हो गये। उनका न तो कोई मित्र था और न कोई द्वेष्य । वह मध्यस्थ महार्थ और विशुद्ध लेश्यावाले थे। दूसरे दिन, जिसमें दण्डोंके अग्रभागमें वस्त्रध्वज लगे हुए हैं, ऐसे नलिन नामक नगरमें वह प्रवेश करते हैं।
___घत्ता-न करतलमें पत्तल, न पात्र है और न पैरोंमें धुंघरुओंकी ध्वनि है, न प्रचुर भस्म है और न अकुटिल भौंहें हैं और न श्मश्रुरेखाका भूषण है ।।८।।
८.१. A पणाविय । २. A पडिवारिउ । ३. P परिदिण्ण । ४. P चडंतु। ५. A संपत्तु । ६.P
समयवंतु। ७. P मोहपासु। ८.AP सिरि केसपासु । ९. A सह। १०. P तहु मित्त अमित्तु ण को वि देसु । ११. Pण वि। १२. APJउ कुंडियउ। १३. A ससिरेहा ।
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