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रत्नप्रभा
३९०
रत्नप्रभा
ऊपर
अब्बहूल भाग में नरकों के पटल
शण नीचे
खर पक
भाग
१००० यो० १५००० यो० - १६००० यो।
८४००० यो
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-
नोट - इन्द्रक व श्रेणीबध्द - दे. लोक/२ मे चित्र सं० ११.
२-प्रत्येक पटल के मध्य मे इन्द्रक बिल है। उनकी चारो दिशाओवचारो विदिशाओ मे श्रेणीबद बिल है। जाठो अन्तर दिशा में प्रकीर्णक बिल है। सीमान्तक नामक प्रथम पटल के प्रत्येक पटल कीप्रत्येक दिशामे ४६ और प्रत्येक विदिशा में ४८है। आगे के पटलोमे उत्तरोत्तर एक एकहीन है
चित्रा पृ०नामक प्रथम पटल खरभाग
शेष १५ पटल पक भाग + विशेष दे. भवन/४ . सीमान्तक श्रेणी बन्द-(४४४६)+(४४४८):३८८ 1००० यो अन्तराल २निरय
श्रेणीबद्ध ४४४८)+(४४४७)-३८० 1००० यो अन्तराल ३ रोरुक
श्रेणीबद्ध (४४४6)+(४४४६)-३७२ 100०.यो अन्तराल
भान्त|श्रेणी बद्ध (४४४६)+(४४४५)-३६४ १००० यो उन्तराल ५उद्भ्रान्त -
श्रेणी बन्छ (४४४५)+(४४४४)%3३५६ १००० यो अन्तराल ६.सम्भ्रान्त
श्रेणी बंद - (४४४४)+(४४४३)%3D३४८ १००० यो अन्तराल ७ असमान्त
श्रेणी बन्द = (४४४३)+(४४४२)%3३४० १००० यो अन्तराल चि.विभान्त - | श्रेणी बन्द (४४४२)+(४४४१%3D३३२ १००० यो अन्तराल ६. तप्त - श्रेणी बन्द (४४४"+(४४४०)%D३२४ ३००० सन्तराल ३० त्रसित -
श्रेणी बन्द - (४४४०)+९४x३६-३१६ |१००० यो अन्तराल 3. वकान्त
श्रेणी बन्द =(Ex३६)+(४४३८)-३०८ १००० यो अन्तराल १२ अवकान्त
श्रेणीबद (४४३८)(xx३७)-३०० ९००० यो० अन्तराल [१३ विक्रान्त
श्रेणी बन्द - २६२ कुछ कम राजू का अन्तराल
→ ८००००यो
→ अब्बहुल भाग
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