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लोक
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५. द्वीप पर्वतोके नाम रस आदि
५. द्वीप पर्वतों आदिके नाम रस आदि
१. द्वीप समुद्रोंके नाम
२. जम्बू द्वोपके क्षेत्रोंके नाम १. जम्बूद्वीप के महाक्षेत्रोंके नाम जम्बूद्वीपमे ७ क्षेत्र है-भरत, हैमवत, हरि, विदेह, रम्यक, हैरण्यवत्, व ऐरावत । (दे० लोक/३/१/२) ।
२. विदेह क्षेत्रके ३२ क्षेत्र व उनके प्रधान नगर १ क्षेत्रों सम्बन्धी प्रमाण-(ति. प./४/२२०६), (रा. वा./३/१०/१३/
१७६/१७६/१५+ १७७/८,१६,२७).(ह. पु/५/२४४-२५२) (त्रि सा./ ६८-६९०), (ज. प./का पूरा ८ वाँ वह वॉ अधिकार) । २. नगरी सम्बन्धी प्रमाण-(ति.प./४/२२६३-२३०१); (रा. वा./३/१०/१३/ १७६/१६ + १७७/१,२०,२८), (ह. पु/५/२५७-२६४), (त्रि, सा./ ७१२-७१५), (ज. प./का पूरा ८-६ वॉ अधिकार)।
अवस्थान
क्षेत्र
नगरी
१. मध्य भागसे प्रारम्भ करनेपर मध्यलोकमें क्रमसे १ जम्बू द्वीप; २. लवण सागर; धातकी खण्ड-कालोद सागर, ३, पुष्करवर द्वीपपुष्करवर समुद्र, ४. वारुणीवर द्वीप-वारुणीवर समुद्र, ५. क्षीरवर द्वीप-क्षीरवर समुद्र, ६. घृतवर द्वीप-घृतवर समुद्र, ७.क्षोद्रवर (इक्षुवर ) द्वीप-क्षौद्रवर ( इक्षुबर ) समुद्र ८ नन्दीश्वर द्वीपनन्दीश्वर समुद्रः ६ अरुणीवर द्वीप-अरुणीवर समुद्र, १०. अरुणाभास द्वीप-अरुणाभास समुद्र, ११. कुण्डलवर द्वीप-कुण्डलवर समुद्र; १२. शंखवर द्वीप-शंखवर समुद्र; १३. रुचकवर द्वीप - रुचकवर समुद्र; १४ भुजगवर द्वीप-भुजगवर समुद्र; १५. कुशवर द्वीपकुशवर समुद्र; १६ क्रौंचवर द्वीप-क्रौचवर समुद्र ये १६ नाम मिलते है । (मू आ /१०७४-१०७८); (स सि /३/७/२११/३ मे केवल नं. ६ तक दिये है ), (रा. वा./३/७/२/१६९/३० मे नं.८ तक दिये है ); (ह पु /५/६१३-६२० ); (त्रि. सा./२०४-३०७), (ज. प/११/८४-८१); २ संख्यात द्वीप समुद्र आगे जाकर पुन एक जम्बूद्वीप है। (इसके आगे पुन' उपरोक्त नामोका क्रम चल जाता है। ) ति प./६/१७६ ), (ह पु.५११६६, ३६७), ३. मध्य लोकके अन्तसे प्रारम्भ करनेपर-१ स्वयंभू रमण समुद्र-स्वयभू रमण द्वीप, २. अहीन्द्रवर सागर-अहीन्द्रवर द्वीप; ३. देववर समुद्र-देव वर द्वीप; ४. यक्षवर समुद्र-यक्षवर द्वीप, ५ भूतवर समुद्र-भूतबर द्वीपः ६. नागवर समुद्र-नागवर द्वीप, ७. वैडूर्य समुद्र--बैडूर्य द्वीप; ८ वचवर समुद्र-वज्रवर द्वीप; ६. कांचन समुद्र-काचन द्वीप, १०. रुप्यवर समुद्र-रुप्यवर द्वीप; ११. हिगुल समुद्रहिगुल द्वीप; १२ अंजनवर समुद्र-अंजनवर द्वीप, १३. श्यामसमुद्रश्याम द्वीप, १४ सिन्दूर समुद्र- सिन्दूर द्वीप, १५ हरितास समुद्र-हरितास द्वीप; १६ मन.शिलसमुद्र-मन.शिलद्वीप । (ह. पु./१/६२२-६२५ ); (त्रि. सा./३०५-३०७) ।
उत्तरी पूर्व विदेहमे पश्चिमसे पूर्व की ओर
दक्षिण पूर्व विदेहमें पूर्वसे पश्चिमकी ओर
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कच्छा क्षेमा ति.प./४/२२६८ सुकच्छा
क्षेमपुरी महाकच्छा
रिष्ठा (अरिष्टा) कच्छावती अरिष्टपुरी आवर्ता
खड्गा लागलावर्ता मंजूषा
औषध नगरी पुष्कलावती पुण्डरी किणी (पुण्डरीकनी) वत्सा
सुसीमा सुबत्सा
कुण्डला महावत्सा अपराजिता वत्सकावती प्रभ करा (वत्सव) (प्रभाकरी) रम्या
अंका (अंकावती) सुरम्या ( रम्यक) पद्मावती रमणीया
शुभा मगलावती रत्नसंचया पद्मा
अश्वपुरी सुपा
सिहपुरी महापद्मा महापुरी पद्मकावती (पद्मवत्) । विजयपुरी शखा
अरजा नलिनी
विरजा कुमुदा
शोका वीतशोका
दक्षिण पश्चिम विदेह मे पूर्व से
पश्चिमकी ओर
सरित
विजया वैजयन्ता जयन्ता अपराजित
२. सागरोंके जलका स्वाद-चार समुद्र अपने नामोके अनुसार रसवाले, तीन उदक रस अर्थात स्वाभाविक जलके स्वादसे सयुक्त, शेष समुद्र ईख समान रससे सहित है। तीसरे समुद्रमे मधुरूप जल है। वारुणीवर, लवणाब्धि, घृतवर और क्षीरवर, ये चार समुद्र प्रत्येक रस; तथा कालोद, पुष्करवर और स्वयम्भूरमण, ये तीन समुद्र उदकरस है। (ति प/५/२६-३०), (म.आ/१०७६१०८०); (रा वा./३/३२/८/१६४/१७), (ह. पु./५/६२८.६२६ ). (त्रि. सा./३१६), (ज प./११/६४-६५)।
उत्तरी पश्चिम विदेहमे पश्चिमसे पूर्व की ओर
वप्रा सुवप्रा महावप्रा वप्रकावती
(वप्रावत) गधा (वल्गु) सुगन्धा-सुवल्गु गन्धिला गन्धमालिनी
चक्रपुरी खड्गपुरी अयोध्या अवध्या
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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