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लोक
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५. द्वीप पर्वतोंके नाम रस आदि
है
कूट
देवक्रम
कूट
देव ।
६
वैश्रवण
हिमवान्
भरत
or m30 ४४
गंगा
.
१
रक्तादेवी
३. विदेहके ३२ विजयाधु-(ति. प/४/२२६०, २३०२-२३०३) ८. रुक्मि पर्वत-( पूर्व से पश्चिमकी ओर ) १ सिद्धायतन | देवोके नाम ६ मणिभद्रदेवोके नाम ॥ (ति प/४/२३४१+ १२४३); ( रा वा /३/११/१०/१८३/३१); २ (दक्षिणार्ध)स्वदेश भरत विजयाई ७ तिमिस्त्रगुह्य | भरत | ( ह.पू./५/१०२-१०४ ), (त्रि. सा /७२७ ); (ज. प./३/४४ ) ।
विजयाध | खण्ड प्रपात
|१| सिद्धायतन । जिनमन्दिर || बुद्धि
८ (उत्तरार्ध)स्वदेश | वत् जानने ४.
रूप्यकूला
रुक्मि (रूप्य) | रुक्मि (रूप्य)६ रूप्यकुला पूर्णभद्र ५ विजयाकुमार
रम्यक
७ हैरण्यवत रम्यक
हरण्यवत
नरकान्ता नरकान्ता ८ मणिकाचन मणिकाचन ४. हिमवाद-(पूर्व से पश्चिमकी ओर )
(कांचन) | (काचन) (ति प./१/१६३२+१६५१), (रा वा/३/११/२/१८२/२४ ),
नोट-रा. वा. व त्रि. सा में नं.४ पर नारी नामक कूट व देव (ह. पु.//५३-५५), (त्रि. सा./७२१), (ज. प./३/४०]
रहता है। सिद्धायतन | जिनमन्दिर । | रोहितास्या रोहितास्या हिमवान्
देवी
६ शिखरी पर्वत-(पूर्व से पश्चिमकी ओर ) भरत
सिन्धु देवी ८ सिन्धु
(ति. प./४/२३५३-२३५१ + १२४३); (रा.वा./३/११/१२/१८४/४), इला इलादेवी
सुरा देवी
सुरा गंगादेवी १० हैमवत हैमवत
(ह. पु/५/१०६-१०८), (त्रि, सा./७२८), (ज, प/३/४५)। श्रीदेवी ११ वैश्रवण वैश्रवण सिद्धायतन। जिनमन्दिर ७ | काचन (सुवर्ण) काचन
२ शिखरी शिखरी ८. रक्तवती रक्तवती देवी
हैरण्यवत हैरण्यवत E गन्धवतीगन्धवती ५ महाहिमवान ( पूर्व से पश्चिमकी ओर )
(गान्धार) | देवी (ति. प/४/१७२४-१७२६); (रा, वा/३/११/४/१८३/४); (ह, पु/ ॥
रैवत (ऐरावत) रेवत: ७१-७२), (त्रि सा/७२४), (ज, प/३/४१)।
११ मणिकाचन मणिकांचन १ सिद्धायतन जिन मन्दिर । ५ | हरि (ह्री)
लक्ष्मी देवी
। हरि (ही)| २ महाहिमवान् महाहिमवान् ६ हरिकान्त हरिकान्त |
* नोट-रा. वा. में नं. ६,७, ८,६,१०,११ पर क्रमसे प्लक्षणकूला, ३ | हैमवत हैमक्त
हरिवर्ष हरिवर्ष
लक्ष्मी, गन्धदेवी, ऐरावत, मणि व कांचन नामक कूट व देव देवी ४ | रोहित रोहित ८ | वैडूर्य
६ निषध पर्वत-(पूर्व मे पश्चिमकी ओर) (ति. प./४/१७५८-१७६० ): (रा वा./३/११/६/१८३/१७), ( ह. पू./
१० विदेहके १६ वक्षार१/८८-८६); (त्रि, सा./७२५); (ज. प./३/४२)।
(ति. प./४/२३१०), ( रा बा./३/१०/१३/१७७/११), (ह. पू./१ सिद्धायतन | जिनमन्दिर ।६। विजय
५/२३४-२३५), (त्रि सा./७४३)।
विजय | निषध निषध
सीतोदा सीतोदा
११ सिद्धायतन । जिनमन्दिर ।३। पहले क्षेत्रका | कूट सदृश ३ हरिवर्ष हरिवर्ष८ अपर विदेह अपर विदेह
| नाम | नाम ४ पूर्व विदेह पूर्व विदेह
रुचक रुचक
|| २ स्व वक्षारका | कूट सदृश |४| पिछले क्षेत्रका | कूट सदृश ५ ' हरि (ही): हरि (ह्री): ।।
नाम
नाम । नाम *नोट-रा. वा. व त्रि सा मे नं ६ पर धृत या धृति नामक कूट व
* नोट-ह पु मे न. ४ कूट पर दिक्कुमारी देवीका निवास बताया है। देव कहे है। तथा ज. प. मे नं ४,५.६ पर क्रमसे धृति, पूर्व विदेह और हरिविजय नामक कूटदेव कहे है।
११ सौमनस गजदन्त-( मेरुसे कुल गिरिको ओर )
(ति. ५/४/२०३१+२०४३-२०४४), (रा.वा./३/१०/१३/१७५/१३); ७ नील पर्वत-(पूर्व से पश्चिमकी ओर )
(ह पु./५/२२१,२२७), (त्रि. सा./७३६) । (ति प/४/२३२८ + २३३१); (रा.वा /३/११/८/१८३/२४), (ह.पु। ॥ (ति प., ह पु.: त्रि, सा.)
(रा.वा.) १/88-१०१), (त्रि. सा /७२६), (ज. प./३/४३) ।
||१| सिद्धायतन | जिनमन्दिर || सिद्धायतन |जिनमन्दिर १ सिद्धायतन | जिनमन्दिर । नारी नारी सौमनस
सौमनस २ सौमनस नील ७ अपर विदेह अपर विदेह
देवकुरु देवकुरु
देवकुरु देवकुरु ३ पूर्व विदेह पूर्व तिदेह रम्यक रम्यक
मगल
मगल ४ मगलावत |४ सीता सीता अपदर्शन अपदर्शन
विमल वत्समित्रा देवी ५ पूर्व विदेह पूर्वविदेह | कीति कीर्ति ६ काचन सुवत्सा ६. कनक
सुवत्सा नोट-रावा, व त्रि, सा, मे नं.६ पर नरकान्ता नामक कूट व
(ममित्रा देवी)|७ काचन वत्समित्रा देवी कहा है।
| विशिष्ट | विशिष्ट
८. विशिष्ट | विशिष्ट
नाम
सौमनस
मंगल
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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