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वनस्पति
गत 6 A S KASA No 10
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६ प्रत्येक शरीर नामकर्मका लक्षण ।
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वनस्पति व प्रत्येक वनस्पति सामान्य निर्देश
वनस्पति सामान्यके भेद |
प्रत्येक वनस्पति सामान्यका लक्षण । प्रत्येक वनस्पतिके भेद ।
वनस्पतिके लिए ही प्रत्येक शब्दका प्रयोग है। मूलबीज, अग्रबीजादिके लक्षण ।
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प्रत्येक शरीर वर्गणाका प्रमाण
प्रत्येक शरीर नामकर्मके असख्यात भेद है
वनस्पतिकाधिक जीवीके गुणस्थान, जीवसमास, मार्गणास्थानके स्वामित्व सम्बन्धी २० प्ररूपणाएँ
- दे० सत् । वनस्पतिकायिक जीवोंकी सत्, संख्या, क्षेत्र, स्पर्शन, काल, अन्तर, अल्परूप आठ रूपणाएँ ।
- दे० वह वह नाम |
२
१
२ निगोद भी
३
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वनस्पतिकाधिक जीवोंमे कमोंका बन्ध, उदय, सल प्ररूपणाएँ । - दे० वह वह नाम । प्रत्येक नामी उदय, सत्त प्ररूपणार्थे
- दे० वह वह नाम । प्रत्येक वनस्पतिजीव समासका स्वामित्व
- दे० वनस्पति /१/१ निर्वृपदशामें प्रत्येक वनस्पति में सासादन गुण
- दे० नाम ।
स्थानकी सम्भावना | - दे० सासादन /१ 1 मार्गणा प्रकरण में भार मार्गणाकी रहता तथा वहाँ आयके अनुसार व्यय होनेका नियम
३० मार्गणा ।
उदम्बर फल | वनस्पति माध्यामक्ष्य विचार दे० वनस्पतिकायिकोका लोकमें अवस्थान ।
निगोद निर्देश
निगोद सामान्यका लक्षण ।
भेद ।
-दे० उदम्बर | श्याभक्ष्य / ४ ।
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- दे० स्थावर ।
नित्य व अनित्य निगोद के लक्षण ।
सूक्ष्म वनस्पति ता निगोद ही है पर सूक्ष्म निगोद
वनस्पतिकायिक ही नहीं है ।
प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिको उपचारने सूक्ष्म निगोद भी कह देते ह ।
प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिको उपचारसे वावर निगोद भी कह देते है ।
साधारण जीवोंको ही निगोद जीव कहते है।
विग्रहगतिमे निगोदिया जीव साधारण ही होते हैं प्रत्येक नहीं।
निगोदिया जीवका आकार ।
५०१
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१
सूचीपत्र
सूक्ष्म व बादर निगोद वर्गणाऍ व उनका लोकमें
अवस्थान ।
निगोदसे निकलकर सीधी मुक्ति प्राप्त करने सम्बन्धी । - दे० जन्म / ५। जितने जीव मुक्त होते है, उतने ही नित्य निगोद से निकलते है । - दे० मोल/२। नित्यमुक्त रहते भी निगोद राशिका अन्त नहीं। -६० मोक्ष / 41
प्रतिष्ठित व अप्रतिष्ठित प्रत्येक शरीर परिचय
प्रतिष्ठित अप्रतिष्ठित प्रत्येकके लक्षण ।
प्रत्येक वनस्पति बादर ही होती है।
वनस्पति हो साधारण जीव होते है पृथिवी आदिने नहीं ।
पृथिवी आदि देव नारकी, तीर्थंकर आदि प्रत्येक शरीरी ही होते है ।
क्षीणकषाय जीवके शरीरमे जीवोंका हानिक्रम । -दे० क्षीणकषाय । कन्दमूल आदि सभी वनस्पतियां प्रतिष्ठित व अमतिठित दोनों प्रकार की होती है।
अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिस्कन्धमें भी सख्यात या असख्यात जीव होते है ।
प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिस्कन्थ अनन्त जीनोके शरीर की रचना विशेष |
साधारण वनस्पति परिचय
साधारण शरीर नामकर्मका लक्षण ।
साधारण जीवोका लक्षण ।
साधारण व प्रत्येक शरीर नामकर्मके असस्यात
भेद है ।
३० नामकर्म । -दे०/२/२
साधारण वनस्पतिके भेद |
योनेके अन्तर्मुहूर्त पर्यन्त सभी वनस्पति अमतिचित प्रत्येक होती है ।
कचिया अवस्थामें सभी वनस्पतिया प्रतिष्ठित प्रत्येक होती है ।
प्रत्येक व साधारण वनस्पतिका सामान्य परिचय | प्रतिष्ठित प्रत्येक शरीर बादर जीवोंका योनि स्थान है सूक्ष्मका नहीं -३० वनस्पति /२/१०
६ एक साधारण शरीरमे अनन्त जीवोंक। अवस्थान साधारण शरीरकी उत्कृष्ट अवगाहना । साधारण नामकर्मकी बन्ध उदय सत्त्व प्ररूपणाएँ
- दे० वह वह नाम |
साधारण वनस्पति जीवसमासोका स्वामित्व
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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- दे० वनस्पति /१/१
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