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जैनसाहित्य और इतिहास
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सिंधषेडि आंबा पातूर, चन्द्रप्रभ जिन शांति सनूर ।
ओसावुदगिरि गढ़ कल्याण, सहिर बिधर प्रसीद्धं ठाण ।। इसके आगे तैलंगदेशके भागनगर गलकुंडूं ( गोलकुंडा) का वर्णन है । लिखा है कि उसका विस्तार चार योजनका है और कुतुबशाहका राज्य है । उसकी सेनामें एक लाख घुड़सवार और नौ लाख सिपाही हैं । गोलकुंडामें छत्तीसहजार वेश्यायें हैं और रातदिन नाच गान हुआ करता है । यहाँके श्रावक धनी, दानी, ज्ञानी, और धर्मात्मा हैं । मणि, माणिक्य, मूंगेके जानकार (जौहरी) और देव-गुरुकी सेवा करनेवाले हैं । वहाँ ओसवाल वंशके एक ' देवकरणशाह ' नामके बड़े भारी धनी हैं, जो
१ महाराष्ट्रीय शानकोशके अनुसार जब जानोजी भोंसलेने निजामअलीको परास्त करके सन्धि करनेके लिए लाचार किया था, तब पेशवा स्वयं तो शिन्दखेडमें रह गया था और विश्वासराव तथा सिन्धियाकी उसने औरंगाबाद भेज दिया था। इसके बाद साखरखेडमें बडी भारी लडाई हुई और निजामअली परास्त हुआ (ई० सन् १७५६ ) । इसी शिन्दखेडका शीलविजयजीने उल्लेख किया है। यह बरारमें ही है । २ आंबा बरारका ही कोई गाँव होगा।
३ आकोला जिलेकी बालपुर तहसीलका एक कस्बा । इसके पासके जंगल में कई गुफायें और एक जैनमन्दिर भी है । संभव है, वह चन्द्रप्रभ भगवान्का ही हो ।
४ यह शायद · ऊखलद' अतिशय क्षेत्र हो, जो निजाम स्टेट रेलवेके मीरखेल स्टेशनसे तीन चार मील है ! यह स्थान पहाडपर है, इसलिए · गिरि ' कहा जा सकता है।
५ कल्याणको आज कल ' कल्याणी' कहते हैं । यह निजाम राज्यके बेदर जिलेकी एक जागीरका मुख्य स्थान हैं। चालुक्य-नरेश सोमेश्वर (प्रथम ) ने यहाँ अपनी राजधानी स्थापित की थी। सन् १६५६ में यहाँके गढ़ या किलेको औरङ्गजेबने फतह किया था ।
६ यह निजाम राज्यका जिला बेदर' है। ७ हैदराबादसे पश्चिम पाँच मीलपर बसा हुआ पुराना शहर । इसीका पुराना नाम भागनगर था ।
८ यह कुतुबशाहीका अन्तिम बादशाह अबूहसन-कुतुबशाह होगा, जो सन् १६७२ में गोलकुंडेकी गद्दीपर बैठा था । सितम्बर १६८७ में औरंगजेबने गोलकुंडा फतह किया और अबूहसनको गिरिफ्तार किया। ९ इन संख्याओंमें कुछ अतिशयोक्ति हो सकती है। प्रो० इन्द्र विद्यावाचस्पति-लिखित मुगल-साम्राज्यका क्षय और उसके कारण ' नामक ग्रन्थके अनुसार इस शहरमें बीस हजार वेश्यायें और अगणित शराबघर थे।