Book Title: Jain Sahitya aur Itihas
Author(s): Nathuram Premi
Publisher: Hindi Granthratna Karyalaya
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जैनसाहित्य और इतिहास
शीलभट्ट ३१४
श्रीदेवी १२३, ३१६ शीलभद्र ११, ११६
श्रीधर १४, १६, ४२२ शीलविजय १९८, २००, २०६, श्रीनंदि ३९, २५४, ३३६-७
२२५, २३०, २३३, २४६, ५१५ | श्रीपति ३०५ शीलोपदेशमाला ५२६
श्रीपति-निबंध ३०३ शुक यतींद्र ५२०
श्रीपति भट्ट ३०३ शुक्र ६३, ७२
श्रीपति-समुच्चय ३०३ शुक्रनीति ८०, ८३
श्रीपाल २६५, ३७५, ५००, ५०१ शुभकीर्ति ४७६
श्रीपाल-चरित्र ४१० शुभचंद्र ९८, ११३, १२२, १५०, | श्रीपाल (विद्य ) ३५७, ४७८
२३३, २४५, ४०६, ४०९, श्रीपालदेव ३५६, ३९७, ४००,४५४ ४४०३०, ४४५-६,४५६, ४५८, | श्रीपाल-आख्यान २६९, २७० ५२७ इ०, ५७२
श्रीपुर ११, ५३, ५५ शुभतुंगदेव ३२१, ३२६
श्रीपुराण २६६ शेकिलार ४८२
श्रीपुरान्वय ११ शेतवाल ५५५
श्रीभूपण ३४० इ० शोभन ३१४, ४६८
श्रीमतीकल्याण २६२ श्रमण गिरि २०१, २०३-४, २१५ श्रीरत्नी १३१ श्रवणगिरि २०३
श्रीरंगपट्टण २३३ श्रवणबेलगोल १९८
श्रीवल्लभ ४२४, ४२५ श्रवणसेन २०४
श्रीविजय ४५, ५२, २५३, २६९, श्री (?) १५
४५४ श्रीकलश ४१
श्रीषेण १७६ श्रीकीर्ति १६१
श्रीहर्ष.१८०, ३२३, ३२५, ३७१, श्रीकुमार २६०-२
३८४, ३८६-७ श्रीकोटिदकरण ३०३
श्रुतकीर्ति १००, १०६, १०८, ११०, श्रीचंद्र ३९, ४०, ३१३, ३३५ इ०, ११४ ४०६, ४४३
श्रुतपंचमी कथा २९८ श्रीदत्त २६, ५३, १२०, १२१ । श्रुतबिंदु ४५४

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