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अवतारण-अवमर्श या ईश्वरका मनुष्यादिके रूपमें जन्म लेना या वैसी अभि- अवधारण-पु० [सं०] निश्चय करना; हद बाँधना; शब्दाव्यक्ति; विष्णुके १० या २४ अवतारोंमेंसे कोई एक विशिष्ट र्थकी सीमा बाँधना (शब्दविशेषपर) जोर देना।
वर भूमिका पार करना; * सृष्टि, रचना। अवधारणा-स्त्री० [सं०] (कॉन्सेप्शन) मन में किसी धारणा, -वाद-यु० धर्मग्लानि होने पर उसकी पुनः स्थापनाके लिए कल्पना या विचारका उदय होना, बनना या स्थिर होना। ईश्वर पृथ्वीपर जन्म लिया करता है, यह मत या विश्वास । अवधारणीय-वि० [सं०] निश्चय करने योग्य विचारणीय । अवतारण-पु० [सं०] उतारना; नीचे लाना; भूत-प्रेतका अवधारना*-स० क्रि० ग्रहण करना, धारण करना ।
आवेश; अनुवाद; भूमिका; वस्त्रका छोर, उद्धरण । अवधारित-वि० [सं०] निश्चित; सुज्ञात । अवतारणा-स्त्री० [सं०] दे० 'अवतारण' ।
अवधार्य-वि० [सं०] दे० 'अवधारणीय' अवतारना*-स० क्रि० जन्म देना; पैदा करना। अवधि-स्त्री० [सं०] सीमा; अंतिम सीमा; नियत काल, अवतारी (रिन)-वि० [सं०] अवतार-लेनेवाला; जिसने मीयाद । अ० तक । म०-देना-धरना-बदनाकिसी देवताका अवतार ग्रहण किया है।
समय नियत करना, मुद्दत बाँधना । अवतीर्ण-वि० [सं०] उतरा हुआ, नीचे आया हुआ; अवधिमान-पु० समुद्र ।। प्रादुर्भूत; अवतारके रूपमें उत्पन्न; जलमें उतरा या स्नान अवधी-वि० अवधसे संबंध रखनेवाला। स्त्री० अवधकी किया हुआ; पार गया हुआ।
बोली; *दे० 'अवधि। अवदंश-पु० [सं०] उत्तेजक या प्यास उत्पन्न करनेवाली अवधू*-पु० दे० 'अवधूत' ।
चटपटी चीज जो मद्यपानके समय खायी जाती है, गजक। अवधूक-वि० [सं०] पत्नीरहित । अवदंस-पु० दे० 'अवदंश' ।
अवधूत-पु० [सं०] संन्यासी साधुओंका एक भेद । अवदरण-पु० [सं०] फोड़ना; फाड़ना; अलग करना। अवधेय-वि० [सं०] ध्यान देने योग्य; रखने योग्य; अवदात-वि० [सं०] उज्ज्वल निर्मल; सुंदर; पीला; गुण- जानने योग्य । विशिष्ट ।
अवधेश-पु० [सं०] अवध-नरेश; दशरथ । अवदान-पु० [सं०] प्रशस्त कर्म; उज्ज्वल कर्म; पराक्रम; अवध्य-वि० [सं०] वधके अयोग्य । उल्लंघन; विभाजन; खंड; वीरणमूल; (कांट्रिब्यूशन) दे० | अवन-पु० [सं०] रक्षण प्रसन्न करना । * स्त्री० रास्ता भूमि । 'अंशदान', योगदान ।
अवनत-वि० [सं०] झुका हुआ; गिरा हुआ; पिछड़ा हुआ; अवदान्य-वि० [सं०] पराक्रमी; कंजूस
हीन; अस्त होता हुआ; विनीत । अवदारण-पु० [सं०] चीरना; विभाजन करना; खोदना अवनति-स्त्री० [सं०] झुकाव; गिराव; अधःपतन; उतार; काटकर टुकड़े-टुकड़े करना; कुदाल, खंता।
अस्त होना; दंडवत; विनम्रता । अवद्य-वि० [सं०] निय; त्याज्य; अधम पापी; दोषी; अवनद्ध-वि० [सं०] निर्मित; ढका हुआ; बँधा हुआ। चर्चाके अयोग्य । पु० अपराध; पाप; दोष; निंदा, लज्जा।। अवना*-अ० क्रि० आना । अवध-पु० [सं०] कोशल; अयोध्या; उत्तर प्रदेशका एक |
अवनि, अवनी-स्त्री० [सं०] धरती, जमीन । -सतअंश; वध न करना। वि. जो बधके योग्य न हो । * पु० मंगल ग्रह ।-प,-पति-पाल,-भृत्-पु० राजा । स्त्री० दे० 'अवधि।
अवनींद्र-पु० [सं०] राजा। अवधा-स्त्री० (सेगमेंट आफ ए सरकिल) वह आकृति जो अवनीश, अवनीश्वर-पु० [सं०] राजा। किसी जीवाऔर उस जीवाके एक ओर के चापसे घिरीहो। अवपात-पु० [सं०] अधःपतन; झपट्टा रंध्रा गर्त । अवधाता-पु० [सं०] (केयरटेकर) वह व्यक्ति जो असली | अवबाहुक-पु० [सं०] भुजस्तंभ, भुजाकी गति रुक जानेमालिककी अविद्यमानतामें मकान आदिकी निगरानी करे। का रोग। अवधात्री सरकार-स्त्री० (केयरटेकर गवर्नमेंट) वह सरकार अवबोध-पु० [सं०] जागना; शान, बोध; विवेक; जताना । जो निर्वाचन आदि होनेके बाद नयी सरकारके कार्यभार ! अवबोधक-वि० [सं०] झापक । पु० जगानेवाला-सूर्यः ग्रहण कर लेनेतक शासन व्यवस्थाकी निगरानी करती रहे। बंदी; चौकीदार, शिक्षक, विचार । अवधान-पु० [सं०] ध्यान; मनोयोग; किसी विषयमें | अवबोधन-पु० [सं०] बताना, जताना; शान । मनकी एकाग्रता; चौकन्नापन; (केयर, चार्ज) किसी व्यक्ति, अवभृथ-पु० [सं०] यज्ञका अंत; यज्ञके अंतमें शद्धिके वस्तु या कार्यकी देखभाल करने या उसपर नजर रखनेका । लिए किया जानेवाला स्लान; मुख्य यज्ञकी समाप्तिपर कार्य; * गर्भ ।
दोष-त्रुटियोंके प्रायश्चित्तरूपमें किया जानेवाला यश । अवधानी (निन् )-वि० [सं०] ध्यान देनेवाला; मनो- -स्नान-पुण्यशकी पूर्णाहुतिके बाद किया जानेवालालान । योगयुक्त।
अवम-वि० [सं०] अंतिम; अधम । पु० चांद्र और सौर अवधायक अधिकारी-पु० (आफिसर इनचार्ज) वह | दिनका अंतरः पितरोंका एक वर्ग। -तिथि-स्त्री० वह अधिकारी जिसकी देखभाल या अधीनतामें कोई कार्य तिथि जिसका क्षय हो गया हो। अथवा कार्यालय हो।
अवमर्दन-पु० [सं०] कुचलना; दमन; उत्पीड़न, मालिश अवधायक सरकार-स्त्री०(केयरटेकर गवर्नमेंट) दे० 'अव- करना । धात्री सरकार'।
अवमर्दित-वि० [सं०] रौंदा हुआ; मर्दन किया हुआ। अवधारक-वि० [सं०] अवधारण करनेवाला। । अवमर्श-पु० [सं०] स्पर्श; संपर्क । -संधि-स्त्री० नाट्य
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