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कुछ लोग कहते हैं कि हमें डर के मारे कपट करना पड़ता है। लेकिन डर किसका? जिसका गुनाह हो उसी को डर है न!
जो मोक्ष के कामी बन जाएँ उन्हें मोक्षमार्ग का कोई बाधक कारण स्पर्श नहीं करता। ___'मैं जानता हूँ', वह मोक्षमार्ग का सब से बड़ा बाधक कारण है! वह आत्मघात करवाता है। 'मैं जानता हूँ', वह निरी मादकता लाता है, जिसका खत्म होना अति मुश्किल! जिसे यह कैफ नहीं है कि 'मैं जानता हूँ', उसका तो चेहरा भी सुंदर दिखाई देता है। भयंकर अजागृति के कारण तो ये रोग उत्पन्न हो जाते हैं। _ 'मैं जानता हूँ' ऐसा मानकर हो चुके झंझट का निकाल करने जाएँगे तो बल्कि और बिगड़ेगा।
___'मैं जानता हूँ' की मिठास बरते या कोंपले फूटें तब वहाँ पर उसे तुरंत ही मिटा देना। कोंपलें फूटते ही उखाड़ फेंकना, नहीं तो वह रोग बढ़ जाएगा। जागृति खत्म कर देगा।
मोक्षमार्ग में सभी भय-सिग्नल ज्ञानीपुरुष से समझ लेने चाहिए, तभी सेफसाइड रहेगी। नहीं तो स्टीमर कौन से गाँव जाएगा, उसका ठिकाना नहीं है।
जिसे मोक्ष में ही जाना है उसे सही मार्ग मिल ही जाएगा, ऐसा नियम है।
८. जागृति : पूजे जाने की कामना ज्ञानी की समझ के साथ अपनी समझ रखकर, उसके समानांतर चलना चाहिए। वर्ना मार्ग कब दूसरे रास्ते पर चढ़ जाएगा, वह कहा नहीं जा सकता। मोक्षमार्ग में खुद की समझदारी का एक अंश भी नहीं चल सकता। खुद को सही समझ है ही नहीं इसीलिए तो भटक रहे हैं न!
सामनेवाले के प्रश्न का समाधान कब होगा जब अहंकार संपूर्ण खत्म हो जाएगा। जब डिस्चार्ज अहंकार भी खत्म हो जाएगा, तब।
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