________________ तत्र चादौ तावद् विघ्नविनायकोपशमहेतोर्मङ्गलार्थ, शिष्यप्रवृत्तिनिमित्तमभिधेयाद्यभिधानार्थं चाह भाष्यकार: कयपवयणप्पणामो वोच्छं चरण-गुणसंगहं सयलं। आवस्सयाणुओगं गुरूवएसाणुसारेणं॥१॥ [ संस्कृतच्छाया:- कृतप्रवचनप्रणामो वक्ष्ये चरणगुणसंग्रहं सकलम्। आवश्यकानुयोगं गुरूपदेशानुसारेण॥] व्याख्या- 'वोच्छं' इति क्रिया, वक्ष्येऽभिधास्य इत्यर्थः। कम्? इत्याह-'आवस्सयाणुओगं ति' अवश्यं कर्तव्यमावश्यक सामायिकादिरूपम्, क्वचित् ‘आवासयाणुओगं' इति पाठः, तथाऽपि आ समन्ताज्ज्ञानादिगुणैः शून्यं जीवं वासयति तैर्युक्तं करोतीत्यावासकं सामायिकादिरूपमेव, तस्य वक्ष्यमाणशब्दार्थोऽनुयोगो व्याख्यानं विधि-प्रतिषेधाभ्यामर्थप्ररूपणमित्यर्थः, तम्। किंविशिष्टः सन्? इत्याह- 'कयपवयणप्पणामो त्ति' प्रोच्यन्तेऽनेन, अस्मात्, अस्मिन् वा जीवादयः पदार्था इति प्रवचनम्, अथवा रहे एवं कुछ विस्तार से जानने की रुचि वाले शिष्यों के लिए उक्त वृत्ति वर्तमान में वैसा उपकार नहीं कर सकती है- ऐसा सोचकर मैं (मलधारी हेमचन्द्र) अल्पबुद्धि होता हुआ भी विशेष मन्दबुद्धि वाले शिष्यों को बोध हो जाय तथा इस कार्य से श्रुत का अभ्यास (स्वाध्याय) भी हो-- इस दृष्टि से सरल वाक्यों वाली तथा अधिक विस्तृत इस (बृहद्) वृत्ति को प्रारम्भ कर रहा हूं। (ग्रन्थ की विषय-वस्तु) सर्वप्रथम भाष्यकार (श्री जिनभद्र क्षमाश्रमण) प्रमुखविघ्नों की शान्ति-हेतु, तथा मङ्गलाचरण के साथ-साथ, शिष्यों की (शास्त्र-अध्ययन में) प्रवृत्ति हो- इस दृष्टि से शास्त्र की विषय-वस्तु (अभिधेय) का भी कथन कर रहे हैं (1) कय-पवयणप्पणामो, वोच्छं चरणगुणसंगहंसयलं। आवस्सयाणुओगं, गुरुवएसाणुसारेणं॥ . . [(गाथा-अर्थः) मैं 'प्रवचन' को प्रणाम कर, गुरु-वचनों के अनुरूप, सम्पूर्ण चरण-गुणसंग्रह 'आवश्यक-अनुयोग' का कथन करूंगा।] व्याख्याः- 'वोच्छं'-यह क्रिया है जिसका अर्थ है- कहूंगा, निरूपण करुंगा। किसका निरूपण? इसलिए कहा- 'आवस्सयाणुयोगं ति', अर्थात् आवश्यक अनुयोग का, आवश्यक कर्तव्य 'आवश्यक' रूप सामायिक आदि का कथन/निरूपण करूंगा | कहीं 'आवासयाणुओगं' (आवासक अनुयोग) पाठ है। 'आवासक' का अर्थ भी 'सामायिक' आदि रूप है क्योंकि ज्ञानादि-गुणों से रहित जीव को जो पूर्णतः वासित या युक्त करे वह आवासक, यानी सामायिक आदि ही है। उस (आवश्यक) का अनुयोग यानी व्याख्यान, अर्थात् विधि-प्रतिषेधात्मक स्वरूपों के (कथन के) माध्यम से निरूपण। 'अनुयोग' का (शाब्दिक) अर्थ आगे कहेंगे। किस विशेषता से युक्त होकर? इसलिए कहाकयपवयणप्पणामो अर्थात् प्रवचन को प्रणाम करके। 'प्रवचन' शब्द का अर्थ है- जिसके द्वारा, ------ विशेषावश्यक भाष्य