________________ थेराणं नाणत्तं अतरंतं अप्पिणन्ति गच्छस्स। गच्छे निरवजेणं करेन्ति सव्वं पि परिकम्मं // 1 // [स्थविराणां नानात्वम् अशक्नुवन्तमर्पयन्ति गच्छस्य। गच्छे निरवद्येन कुर्वन्ति सर्वमपि परिकर्म // 1 // एक्ककपडिग्गहगा सप्पाउरणा हवंति थेरा उ। जेसिं उण जिणकप्पे न य तेसिं वत्थपायाणि॥२॥ एकैकप्रतिग्रहका सप्रावरणा भवन्ति स्थविरास्तु। येषां पुनर्जिनकल्पो न च तेषां वस्त्रपात्राणि // 2 // निप्पडिकम्मसरीरा अवि अच्छिमलं पिनेअअवणिंति।विसहंति जिणा रोगंकारिति कयाइन तिगिच्छं॥३॥ निष्प्रतिकर्मशरीरा अप्यक्षिमलमपि नैवापनयन्ति। विषहन्ते जिनाः (जिनकल्पिकाः) रोगं कारयन्ति न कदापि चिकित्साम्॥३॥] इत्यलं विस्तरेण, तदर्थिना तु कल्पग्रन्थोऽन्वेषणीय इति। तस्माद् यतः प्रव्रज्या-शिक्षापदानन्तरमर्थग्रहणं विधेयम्, ततोऽर्थव्याख्यारूपेणाऽनुयोगेनाऽयमधिकारः सूत्राध्ययनकालस्यातिक्रान्तत्वेन तस्यैवेह प्रस्तुतत्वादिति स्थितम् // इति गाथार्थः // 7 // ____ आह- कृतपञ्चनमस्काराय शिष्याय सामायिकादिश्रुतं ददत्याचार्याः, तेनैव च क्रमेणाऽनुयोगमित्युक्तम्, यदि नामैवमुक्तं ततः किम्?, इत्याह अनेक स्थविरकल्पियों में जो शक्तिहीन हैं, उन्हें किसी गच्छ को सौंप दिया जाता हैं और वे गच्छ में रहते हुए निरवद्य रूप से समस्त परिकर्म करते हैं॥१॥ और वे सभी वस्त्र-पात्र रखते हैं। किन्तु जो भविष्य में जिनकल्पी होने के इच्छुक हैं, उनके वस्त्र-पात्र नहीं होते // 2 // वे (जिनकल्पी) तो शरीर की प्रतिचर्या भी नहीं करते, यहां तक कि आंख के मैल को भी वे साफ नहीं करते। सभी प्रकार की व्याधियों को वे सहन करते हैं और किसी भी रोग की कदापि चिकित्सा नहीं करते हैं // 3 // (इस सम्बन्ध में) इतना ही (निरूपण) पर्याप्त है। इस विषय में (अधिक) जानना हो तो (बृहत्) कल्पसूत्र का अध्ययन करणीय है। अस्तु, पूर्वोक्त रीति से दीक्षा और (सूत्राध्ययनरूप) शिक्षा ग्रहण करने के अनन्तर, अर्थ-ग्रहण करणीय होता है। इस प्रकार, चूंकि सूत्र-अध्ययन काल पूर्ण हो चुका है, इसलिए अर्थव्याख्यान रूप अनुयोग की ही प्रस्तुति की जा रही है- यह निष्कर्ष है| यह गाथा का अर्थ (पूर्ण) हुआ // 7 // (नमस्कारानुयोग पहले क्यों नहीं?) प्रश्नः- जिसने पंच-नमस्कार कर लिया हो, उस शिष्य को आचार्य महाराज सामायिक श्रुत का दान (ज्ञान-दान) देते हैं, और इसी क्रम से अनुयोग का भी कथन करते हैं- ऐसा कहा है। यदि ऐसी बात है तो इससे यहां क्या सिद्ध (निष्कर्ष) हुआ? इस जिज्ञासा के समाधान हेतु (भाष्यकार) कर रहे हैं MA ---------- विशेषावश्यक भाष्य -------- 31 ERY