________________ अथवा नाम-स्थापना-द्रव्याणि भावमङ्गलस्यैवाऽङ्गानि कारणानि।कुतः?, इत्याह-'पाएण इत्यादि / भावमङ्गलपरिणामो भावमङ्गलोपयोगो भावमङ्गलसाध्वादिपरिणतिरूपो वा, तन्निमित्तभावात् तत्कारणत्वादित्यर्थः। यच्च यस्य कारणं तत् तद्व्यपदेशं लभत एव, यथा 'आयुर्घतम्''रूपको भोजनम्' इत्यादि। क्लिष्टकर्मणां केषाञ्चिद् नामादीनि भावमङ्गलकारणानि न भवन्त्यपि, इति प्रायो ग्रहणम्। मङ्गलविचारश्चेह प्रकान्तः, तेन भावमङ्गलकारणानि नामादीन्युक्तानि, यावता भावेन्द्रादेरपि तानि कारणत्वेन द्रष्टव्यान्येव। तस्माद् भावमङ्गलादिकारणत्वाद् नामादीन्यपि तद्रूपाण्येव, इति भावस्य वस्तुत्वसाधने नामादीनामपि तत्कारणत्वात् तद् न सूयते // इति गाथार्थः // 56 // अथ नामादीनां भावमङ्गलकारणत्वे उदाहरणान्याह-, जह मङ्गलाभिहाणं सिद्धं विजयं जिणिंदनाम च। सोऊण, पेच्छिऊण य जिणपडिमालक्खणाईणि॥५७॥ व्याख्याः -अथवा नाम, स्थापना, द्रव्य -ये भावमङ्गल के ही अंग हैं। कैसे? इसे बता रहे हैंप्रायेण इत्यादि / तात्पर्य यह है कि भावमङ्गल परिणाम, या भावमङ्गल-उपयोग या भावमङ्गल साधु आदि परिणति- इनमें (वे नाम आदि) निमित्त होते हैं, कारण होते हैं। जो जिस (कार्य) का कारण होता है, वह (कारण) उस (कार्य) के रूप में भी (पुकारा जाता है या) व्यवहृत होता है, जैसे (घृत आयु का कारण है, और भोजन सुन्दर-असुन्दर, स्थूल-कृश रूप आदि का कारण है तो) घृत को आयु या भोजन को रूपक (रूपकारी) कहा जाता है, इत्यादि। (इसी प्रकार, नाम आदि कारण में भाव रूपी कार्य का उपचार कर, पूर्वोक्त नाम, स्थापना व द्रव्य को भी भावमङ्गल रूप कहा जाता है।) चूंकि क्लिष्ट कर्म वाले जीवों के नाम आदि भावमङ्गल के कारण नहीं भी होते, इसलिए कहा- प्रायः। मङ्गल-सम्बन्धी विचार यहां चल रहा है, इसलिए नाम आदि को भावमङ्गल का कारण बताया गया है, इसलिए भाव-इन्द्र आदि के भी वे (नाम इन्द्रादि) कारण हैं- ऐसा मानना चाहिए। इस प्रकार, भावमङ्गल आदि के कारण होने से नाम आदि भी तद्रूप (भावमङ्गलरूप) ही हैं, अतः भाव को वस्तु मानने पर 'भाव' के कारणभूत उन नाम आदि में भी, वह (भावमङ्गलता) अक्षुण्ण (निर्विवाद रूप से विद्यमान) है। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ // 16 // . अब नाम आदि की भावमङ्गल में कारणता (को स्पष्ट करने हेतु उस) के उदाहरण बता रहे हैं // 17 // जह मङ्गलाभिहाणं, सिद्धं विजयं जिणिंदनाम च। सोऊण पेच्छिऊण य, जिणपडिमालक्खणाईणि // ---------- विशेषावश्यक भाष्य -------- 91 52