________________ अत्राव्यक्तमिति कोऽर्थः? इत्याह- अनिर्देश्यं शब्दोऽयं"रूपादिर्वा' इत्यादिना प्रकारेणाऽव्यक्तमित्यर्थः। ननु यदि शब्दादिरूपेणाऽनिर्देश्यम्, तर्हि किं तत्?, इत्याह- सामान्यम्। किमुक्तं भवति?, इत्याह- नामजात्यादिकल्पनारहितम्। न च वक्तव्यं-शाङ्ख-शाङ्गभेदापेक्षया शब्दोल्लेखस्याऽप्यव्यक्तत्वे घटमाने कुत इदं व्याख्यानं लभ्यते? इति, अवग्रहस्याऽनाकारोपयोगरूपतया सूत्रेऽधीतत्वात्, अनाकारोपयोगस्य च सामान्यमात्रविषयत्वात्, प्रथममेवाऽपायप्रसक्त्याऽवग्रहेहाभावप्रसङ्ग इत्याद्युक्तत्वाच्च // इति गाथार्थः // 262 / / अथ सूरिरेव पराभिप्रायमाशिशङ्कयिषुराह अह व मई, पुव्वं चिय सो गहिओ वंजणोग्गहे तेणं। __जवंजणोग्गहम्मि वि, भणियं विण्णाणमव्वत्तं // 263 // [संस्कृतच्छाया:- अथ वा मतिः, पूर्वमेव स गृहीतो व्यञ्जनावग्रहे तेन। यद् व्यञ्जनावग्रहेऽपि भणितं विज्ञानमव्यक्तम्॥] यहां 'अव्यक्त' का क्या अर्थ (तात्पर्य) है? उत्तर दे रहे हैं- (अनिर्देश्यम्)। वह अव्यक्त; अनिर्देश्य होता है, अर्थात् 'यह शब्द है' या 'रूप आदि है' -इस रूप में व्यक्त नहीं होता। . (शंका-) यदि वह (अव्यक्त) शब्द आदि रूप से निर्दिष्ट नहीं किया जा सकता है, तो वह क्या है? उत्तर है- वह सामान्य रूप होता है। इसका क्या तात्पर्य है? उत्तर है- नाम, जाति आदि कल्पना से रहित है। (पुनः शंका-) शब्द के शंखीय या शृंगीय (आदि) भेदों की अपेक्षा से शब्दोल्लेख भी 'अव्यक्त' कोटि में आता है, अतः उक्त (शब्दोल्लेख से रहित -यह) व्याख्यान किस तरह फलित हुआ? (उत्तर-) आपका ऐसा कहना (शंका प्रस्तुत करना) समीचीन नहीं है, क्योंकि सूत्र में अवग्रह को 'अनाकार उपयोग' रूप बताया गया है, और अनाकार उपयोग सामान्यमात्र का ग्राहक होता है, क्योंकि अगर प्रथम में ही 'अपाय' (शब्द-निश्चय) हो जाय तो अवग्रह व ईहा का अभाव हो जाएगा - इत्यादि कथन हम (पहले) कर चुके हैं। यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ // 262 // . अब, सूरि (भाष्यकार) ही परपक्ष द्वारा अभिप्रेत आशंका को दृष्टि में रख कर (उसके मत - को) कह रहे हैं // 263 // अह व मई, पुव्वं चिय सो, गहिओ वंजणोग्गहे तेणं। जं वंजणोग्गहम्मि वि, भणियं विण्णाणमव्वत्तं // [(गाथा-अर्थ :) (सम्भवतः) 'आप अपना ऐसा मत व्यक्त करें कि श्रोता को वह (अव्यक्त शब्द) तो व्यञ्जनावग्रह में (ही) गृहीत हो चुका है, क्योंकि आपने व्यञ्जनावग्रह में भी अव्यक्त विज्ञान का सद्भाव कहा है] a 384 -------- विशेषावश्यक भाष्य ----------