Book Title: Visheshavashyak Bhashya Part 01
Author(s): Subhadramuni, Damodar Shastri
Publisher: Muni Mayaram Samodhi Prakashan

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Page 515
________________ गाथा सं. पृष्ठ सं. 282 411 153 181 249 256 222 234 329 156 251 . 164 241 113 मंगिज्जएऽधिगम्मइ लक्खणभेआ हेऊफल. लक्खिज्जइ तं सिमिणा लोयणमपत्तविसयं वत्थुसरूयं नार्म वत्थुस्स लक्खलक्खण. वंजिजइ जेणत्थो विसयपरिणाममनियय विसयमसंपत्तस्स स किमोग्गहोत्ति भण्णइ सत्थऽत्थन्तरभूयम्मि सत्ये तिहा विहत्ते सदसदविसेसणाओ सहुज्जुसुया पज्जाय० सदेसि भणइ वत्ता सदो ता दध्वसुयं सहो ति व सुवाणिवं सपरप्पचावणओ समवे समये गिण्हइ समयेसु मणो दव्वाइं. समुदाए जइ णाणं सव्वगउत्ति य बुद्धी सव्वत्थ देसयंतो सव्वत्येहाऽवाया सव्यो विय सोऽवाओ सहवलदीए वा. . संसयविवज्जया सा भिन्नलक्खणा वि सामण्णं च विसेसो सामण्णतयण्णविसेसेहा गाथा सं. पृष्ठसं. 22 सामण्णमेत्तगहणं | सामण्णविसेसस्स वि सामत्थाभावाओ मणो सामण्णमणिद्देसं सामत्ताइविसेसाभावाओ सामनाउ विसेसो 194 सा वा सहत्थो सामना वा बुद्धी सिमिणमिव मन्नमाणस्स | सिमिणे वि सुरयसंगम सिमिणो न तहारूवो सुयकारणं जओ सो सुयकारणं ति सद्दो सुयनिस्सियवयणाओ सुयविण्णाणप्पभवं 133 |सुरयपडिवत्तिरइसुह | सेसेसु विरूवाइसु सो अज्झवसाणकओ सो इन्दियाइभेएण 238 | सोइंदिओवलद्धी चेव सुयं 202 295 |सोइंदिओवलद्धी होइ 314 सोऊण जा मई भे . सोओवलद्धी जइ सुयं | सो पुणरीहावाया | सो पुण सयमुवघायण सो वि हु सुयक्खराणं सो सव्वसुअक्खंध. | हेऊ विरुद्धधम्मत्तणा हि 393 | होइ मणोवावारो 388 होति परोक्खाइं मइ __264 -- विशेषावश्यक भाष्य 230 337 287 292 424 171 229 336 242 437 194 117 185 216 109 174 261 382 18 189 285 411 223 326 198 353 - 1 सामपणत्थावग्गहण ----447

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