Book Title: Visheshavashyak Bhashya Part 01
Author(s): Subhadramuni, Damodar Shastri
Publisher: Muni Mayaram Samodhi Prakashan
View full book text
________________ 206301 251 207 219 189 164. गाथा सं. पष्ठसं. गाथा सं. पृष्ठ सं. दव्वसुयमसाहारण. 1744 254 | परिनिव्वुयमुणिदेहं 5892 दव्वसुयं बुद्धीओ 112. | पव्वज्जा सिक्खावय 7 18 दव्वसुयं भावसुयं 127 . 199 |पावंति सद्दगन्धा दव्वसुयं मइपुव्वं 1111 पिंडों कजं पइसमय. 71 दव्वं भावमणो वा 215 313 पिंडो कारणमिटुं 8 -104 दव्वं माणं पूरियमिन्दिय पुव्वं सुयफरिकम्मिय. 247 दीसंति कासइ फुडं 226 . 332 |पूरिज्जइ पाविज्जइ देहप्फुरणं सहसोइयं 233 | पोग्मलमोयगदन्ते देहादणिग्गयस्स वि - 349 बहुविग्घाई सेयाई धूमो व्व संहरणओ बुद्धिढेि अत्थे नज्जइ उवघाओ से भणओ सुणओ व सुयं नणु साऽवायब्भहिया भव्वस्स मोक्खमग्गा. नणु सिमिणाओऽवि कोई भावत्यंतरभू 105 न परप्पबोहयाई भावसुयं तेण मई - 238 न पराणुमयं वत्थु भावसुयं भासासोयलद्धि. नयणमणोवज्जिन्दिय भावसुयाभावाओ नय भावो भावंतर. भावस्स कारणं जह न विसेसत्यंतरभूया. भासापरिणइकाले न सिमिणाविण्णाणओ | भेयकयं च विसेसण 185 नाणकिरियाहिं मोक्खो 3 . मइकाले वि जइ सुयं 243 नाणाणण्णाणि य 107 | मइपुव्वं जेण सुयं . 135 नाणुग्गहोवघाया 214 मइपुव्वं सुयमुत्तं न नातीतमणुप्पन्न मइसहियं भावसुयं नामाइतियं दव्वट्ठियस्स मइसुयनाणविसेसो नामाइभेअसद्दत्थ. महुराइगुणत्तणओ नीऊ आगसिउं वा मंगलकरणा सत्थं नेयाइ च्चिय जं सो मंगलतियंतरालं पज्जवणं पज्जयणं 131 मंगलपयत्थजाणय. पज्जायाऽणभिधेयं | मंगलमहवा नन्दी पत्ताइगयं सुयकारणं 1% | मंगलसुयउवउत्तो . पनवणिज्जा भावा 141 216 | मंगालयइ भवाओ 24 - 48 Ma #4-------- विशेषावश्यक भाष्य ---------- 70 . ॐ -208 8 क व W 202 81
Page Navigation
1 ... 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520