________________ [संस्कृतच्छाया:- मतिपूर्व येन श्रुतं तेनादौ मतिः विशिष्टो वा। मतिभेदश्चैव श्रुतं तस्माद् मतिसमनन्तरं भणितम् // ] मतिः पूर्वं प्रथममस्येति मतिपूर्व येन कारणेन श्रुतज्ञानं, तेन श्रुतस्यादौ मतिः, तीर्थकर-गणधरैरुक्तेति शेषः, न ह्यवग्रहादिरूपे मतिज्ञाने पूर्वमप्रवृत्ते क्वापि श्रुतप्रवृत्तिरस्तीति भावः। "विसिट्ठो वा मइभेओ चेव सुयं ति' यदि वा इन्द्रियाऽनिन्द्रियनिमित्तद्वारेणोपजायमानं सर्वं मतिज्ञानमेव, केवलं परोपदेशादागमवचनत्वाच्च भवन् विशिष्टः कश्चिद् मतिभेद एव श्रुतं, नान्यत्। ततो मूलभूताया मतेरादौ विन्यासः तद्भेदरूपं तु श्रुतज्ञानं तत्समनन्तरं भणितमित्यदोषः। 'मइपुव्वं जेण सुयं' इत्यादिकश्चाऽर्थः पुरतः प्रपञ्चेन भणिष्यते // इति गाथार्थः॥८६॥ अथ मतिश्रुतानन्तरमवधेः, तत्समनन्तरं च मन:पर्यायज्ञानस्योपन्यासे कारणमाह काल-विवज्जय-सामित्त-लाभसाहम्मओऽवही तत्तो। माणसमित्तो छउमत्थ-विसय-भावादिसामण्णा॥८७॥ [(गाथा-अर्थः) मति-पूर्वक श्रुत होता है, इसलिए मति को आदि में (श्रुत से पहले) रखा गया है। अथवा मतिज्ञान का ही विशिष्ट भेद श्रुतज्ञान है, इसलिए भी मति को पहले तथा श्रृंत ज्ञान को बाद में कहा जाता है।] .. व्याख्याः - श्रुतज्ञान चूंकि मतिपूर्वक होता है (अर्थात् पहले मति और उसके बाद श्रुत ज्ञान होता है), इस कारण से श्रुत के पहले मति है- (इस कथन का) अवशेष कथन है कि ऐसा तीर्थंकरों व गणधरों ने कहा है। तात्पर्य यह है कि ऐसा कहीं नहीं होता है कि अवग्रह आदि रूप मतिज्ञान पहले प्रवृत्त न हो और श्रुत की प्रवृत्ति हो। (विशिष्टः वा मतिभेदः चैव श्रुतम्-) अथवा इन्द्रिय व मन के निमित्त से उत्पन्न होने वाला श्रुत ज्ञान मतिज्ञान ही है, अतः जो श्रुतज्ञान है, वह मात्र परोपदेश व आगम-वचन के रूप में उपलब्ध होकर विशिष्टता को प्राप्त होता हुआ मतिज्ञान का ही भेद है, और कुछ नहीं। अतः मूलभूत मति का आदि में (सर्वप्रथम) कथन किया गया है और उसके भेद रूप ज्ञान का कथन उसके बाद है, इसमें कोई दोष नहीं है। (मतिपूर्वं येन श्रुतम्-) श्रुत की मतिपूर्वता आदि के सम्बन्ध में आगे विस्तार से बताया जायेगा // यह गाथा का अर्थ पूर्ण हुआ // 86 // अब, मति व श्रुत के बाद अवधि को, और उसके बाद मनःपर्ययज्ञान को रखने में क्या कारण है- इसका निरूपण भाष्यकार कर रहे हैं (87) काल-विवज्जय-सामित्त-लाभसाहम्मओऽवही तत्तो। माणसमित्तो छउमत्थ-विसय-भावादिसामण्णा // Ma 136 -------- विशेषावश्यक भाष्य ----------